सार
हाल ही में सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग की थी। इंदिरा जयसिंह ने 2018 में भी इसके लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने सीजेआई यूयू ललित को पत्र लिखकर 2018 के फैसले को लागू करने और संविधान पीठ के मामलों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की मांग की है।
SC hearing live streaming: सुप्रीम कोर्ट ने अपने कामकाज में पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने के लिए अपने एक बड़े फैसले के चार साल बाद संविधान पीठ की सुनवाई की अपनी कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने का निर्णय लिया है। 27 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ की सुनवाई की पूरी कार्यवाही को लाइवस्ट्रीम किया जाएगा। कार्रवाई को लाइव करने का फैसला एपेक्स कोर्ट ने 2018 में लिया था।
मंगलवार की शाम को 30 जजों ने सर्वसम्मति से लिया फैसला
स्वप्निल त्रिपाठी मामले में 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने के लिए मंगलवार शाम को जजेस की मीटिंग बुलाई गई। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में कोर्ट 30 जजों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि चार साल पूर्व के निर्णय को लागू किया जाए।
पहली बार सीजेआई एनवी रमना की पीठ की कार्यवाही का लाइव
26 अगस्त को अपनी स्थापना के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने एक वेबकास्ट पोर्टल के माध्यम से तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया था। हालांकि, यह औपचारिक कार्यवाही थी क्योंकि न्यायमूर्ति रमना को 26 अगस्त को पद छोड़ना था।
फिलहाल इन मामलों का होना है लाइव
दरअसल, चार साल पहले 26 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की अनुमति दी थी। कोर्ट का मानना है कि इससे न्यायापालिका के कामकाज में पारदर्शिता आएगी और लोगों तक पहुंच बढ़ेगी। संवैधानिक पीठ में सुनवाई की अभी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। लेकिन संवेदनशील मुद्दों की लाइव नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वैवाहिक विवादों या यौन उत्पीड़न से जुड़े संवेदनशील मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जानी चाहिए।
27 सितंबर को इस मामले की होगी लाइव स्ट्रीमिंग
शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ 27 सितंबर को कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत कोटा देने वाले 103 वें संविधान संशोधन की वैधता, सीएए व अन्य मामलों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं शामिल हैं।
इंदिरा जयसिंह ने की थी लाइव की मांग
हाल ही में सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग की थी। इंदिरा जयसिंह ने 2018 में भी इसके लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने सीजेआई यूयू ललित को पत्र लिखकर 2018 के फैसले को लागू करने और संविधान पीठ के मामलों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की मांग की है।
यूट्यूब पर लाइव, बाद में उसे सर्वर पर भी डाला जाएगा
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट यूट्यूब के जरिए कार्यवाही का सीधा प्रसारण करेगी। बाद में इसे अपने सर्वर पर होस्ट करेगी। लाइव को सेलफोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर देखा जा सकता है।
क्यों जरूरी है लाइव जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया...
भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 6 सितंबर को एक घटना को याद करते लाइव को जरूरी बताया। एपेक्स कोर्ट में ई-कमेटी के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक मामले की सुनवाई करते हुए उन्होंने किसी को सेल फोन पर अदालती कार्यवाही रिकॉर्ड करते देखा था। उन्होंने बताया कि वह व्यक्ति शायद कार्यवाही के दौरान हम जो कह रहे थे उसे रिकॉर्ड कर रहे थे। शुरू में मुझे थोड़ा सही नहीं लगा। मैंने सोचा वह व्यक्ति कार्यवाही कैसे रिकॉर्ड कर सकता है? लेकिन कुछ ही पल में मेरे विचार बदल गए। मैंने मन में सोचा, इसमें बड़ी बात क्या है? यह अदालत की सुनवाई है, पूरी तरह से एक खुला मंच है। यहां कुछ भी गोपनीय नहीं है तो रिकॉर्ड करने में बुराई क्या है।
दरअसल, जस्टिस चंद्रचूड़, उस बेंच में शामिल थे जिसमें अब सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ 2018 में कार्यवाही के लाइव स्ट्रीमिंग का फैसला हुआ था। उन्होंने कहा कि एक बदली हुई मानसिकता होनी चाहिए और पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाने के बजाय, आज के समय का दृष्टिकोण न्यायाधीशों को भी अपनाना होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि जजों की आपस की चर्चा को रिकॉर्ड करने से बचना चाहिए।
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