सार
सरकार उच्च न्यायालयों के तीन मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी कर रही है। कॉलेजियम ने एडवोकेट सौरभ किरपाल को दिल्ली HC, सोमशेखर सुंदरसन को बॉम्बे HC और आर जॉन सत्यन को मद्रास उच्च न्यायालय में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।
Supreme Court Judges strength: सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी को पूरा करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। कॉलेजियम की सिफारिशों पर विचार करते हुए केंद्र सरकार ने दो और जजों की पदोन्नति को मंजूरी देने का मन बनाया है। दो और नियुक्तियों का आदेश जारी होते ही देश के एपेक्स कोर्ट को जजों की सृजित संख्या के सापेक्ष नियुक्तियां पूरी हो जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट में 34 जजों की पोस्ट है।
बीते दिनों पांच जजों को मिला था प्रमोशन
सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों पांच जजों को प्रमोट किया गया था। इन पांच जजों को प्रमोट किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 27 से 32 हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जस्टिस पीवी संजय कुमार को विभिन्न हाईकोर्ट्स से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया है। पांचों न्यायाधीशों को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने शपथ दिलाई थी। जस्टिस रंजन गोगोई के मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान देश की शीर्ष अदालत के पास जजों की संख्या पूरी थी। देश की सुप्रीम कोर्ट में 34 जज होने चाहिए। पढ़िए पूरी खबर...
इन दो जजों को सुप्रीम कोर्ट में किया जा रहा प्रमोट
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की सिफारिश के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन मिल रहा है। जल्द ही केंद्र इन नामों को मंजूर कर सकता है।
हाईकोर्ट्स में भी तीन जजों की कॉलेजियम ने की है सिफारिश
सरकार उच्च न्यायालयों के तीन मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी कर रही है। कॉलेजियम ने एडवोकेट सौरभ किरपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय, सोमशेखर सुंदरसन को बॉम्बे उच्च न्यायालय और आर जॉन सत्यन को मद्रास उच्च न्यायालय में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी। हालांकि, इन नामों पर केंद्र सरकार ने आपत्तियां की थी। पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर सरकार की आपत्तियों का खंडन करते हुए केंद्र को अपने पत्र अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए।
किन नामों को लेकर क्या है आपत्ति?
किरपाल के मामले में केंद्र सरकार ने उम्मीदवार के गे होने और साथी के स्विस नागरिक होने पर आपत्ति जताई थी। न्यायालय ने दोनों कारणों का हवाला देते हुए आपत्ति को खारिज कर कहा कि इन आधारों पर उसे खारिज करना स्पष्ट रूप से संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत होगा।
जबकि बॉम्बे हाईकोर्ट के सोमशेखर सुंदरेसन की पदोन्नति उनके सोशल मीडिया पोस्ट पर खारिज कर दी गई थी। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर आलोचनात्मक ट्वीट किए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है। एक उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे एक संवैधानिक पद धारण करने के लिए तब तक अयोग्य नहीं बनाती है जब तक कि न्यायाधीश पद के लिए प्रस्तावित व्यक्ति की सत्यनिष्ठा प्रभावित न होती हो।
मद्रास उच्च न्यायालय के वकील आर जॉन साथियान को उनके सोशल मीडिया पोस्ट पर भी खुफिया ब्यूरो से एक नकारात्मक रिपोर्ट मिली थी। इनमें से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना वाला लेख था।
यह भी पढ़ें: