भारत में सहमति की उम्र 18 से 16 करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। समर्थक इसे किशोरों के प्रेम संबंधों का बचाव मानते हैं, जबकि विरोधी इसे यौन शोषण के बढ़ते खतरे के रूप में देखते हैं।

नई दिल्लीः भारत में आपसी सहमति से संबंध बनाने की कानूनी उम्र 18 साल है। इस उम्र से कम के लोगों के साथ संबंध POCSO एक्ट के दायरे में आते हैं। लेकिन, सहमति की उम्र 16 साल करने की मांग वाली याचिका पर 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने वाली है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ गई है। लोग इसके पक्ष और विपक्ष में पोस्ट शेयर कर रहे हैं।

'निपुण सक्सेना बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' मामले में सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह सुप्रीम कोर्ट की मदद कर रही हैं। इंदिरा जयसिंह की दलील है कि सहमति की उम्र 16 साल होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि 18 साल का मौजूदा कानून किशोरों के बीच आपसी सहमति वाले प्रेम संबंधों को भी अपराध बना देता है और यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

वहीं, सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर तीखी आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों ने लिखा है कि 16 साल बहुत कम उम्र है और इसे रिश्तों के लिए सहमति देने की उम्र नहीं माना जा सकता। लोगों का तर्क है कि 16 साल का मतलब 10वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र हैं और इससे लड़कियों के यौन शोषण का खतरा बढ़ सकता है। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि जब भारत में शराब पीने या गाड़ी चलाने के लिए कानूनी उम्र 18 साल है, तो फिर सहमति देने की उम्र 16 साल क्यों की जा रही है।

वैसे, कुछ लोग सहमति की उम्र 16 साल करने का समर्थन भी कर रहे हैं। समर्थकों का तर्क है कि ऐसे कई मामले हैं जहां बच्चे आपसी सहमति से प्यार में पड़ जाते हैं, लेकिन लड़के POCSO एक्ट के तहत जेल चले जाते हैं। कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि लड़कियों के परिवार वाले अक्सर लड़कों को फंसाने के लिए POCSO का गलत इस्तेमाल करते हैं।