सार

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति (New Excise Policy) में भारी भ्रष्टाचार की आशंका के बीच चीफ सेक्रेट्री की रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने CBI से जांच की सिफारिश कर दी है। दिल्ली सरकार पर मंडरा रहा बड़ा संकट...

नई दिल्ली. उपराज्यपाल वीके सक्सेना(Lieutenant Governor VK Saxena) ने चीफ सेक्रेट्री की एक रिपोर्ट के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार की विवादास्पद दिल्ली आबकारी नीति 2021-22(Delhi Excise Policy 2021-22) की CBI जांच की सिफारिश की है। चीफ सेक्रेट्री ने 8 जुलाई,2022 को यह रिपोर्ट पेश की थी। इसमें उल्लेख किया गया है कि शराब लाइसेंसधारियों को पोस्ट टेंडर गलत लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर GNCTD एक्ट 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (TOBR) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है। इस मामले को लेकर अरविंद केजरीवाल ने खुद सामने आकर सफाई देते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया को फंसाने की कोशिश की जा रही है। पढ़िए रिपोर्ट में और क्या है...

मनीष सिसौदिया भी फंसे
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह  मुख्य रूप से टॉप लेवल के पॉलिटिकल द्वारा फाइनेंसियल क्विड प्रो क्वो(Financial Quid Pro Quo) का संकेत है। इसे आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने फाइनल किया। बता दें कि पॉलिटिक्स में inancial Quid Pro Quo का मतलब एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने के लेन-देन या अन्य लाभ से जुड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निविदाएं दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय सहायता दी गई, इससे राजकोष(Treasury) को भारी नुकसान हुआ। चीफ सेक्रेट्री की यह रिपोर्ट TOBR 1993 के नियम 57 के अनुसार है। इसे उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों को भेजा गया है।

केजरीवाल ने किया सिसौदिया का बचाव
डिप्टी मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार और शराब माफिया को संरक्षण देने के सनसनीखेज आरोपों को जवाब देने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद सामने आए। उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से झूठे हैं। सिसोदिया दिल्ली के एजुकेशन सिस्टम को मजबूत करने के लिए बहुत मेहनत कर रहे थे। इस कारण से उनकी प्रशंसा हो रही है। उन्हें चुनावी समर्थन मिल रहा है, इसी वजह से केंद्र उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा है। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को काम करने से रोकने के लिए फंसाया जा रहा है। केजरीवाल ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि भारत में नया नियम यह लगता है कि पहले यह तय किया जाता है कि किसे जेल जाना है और फिर उस व्यक्ति पर हर तरह के मनगढ़ंत निष्कर्ष और झूठ का टैग लगाया जाता है। केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि यह AAP की लोकप्रियता और चुनावी सफलता थी, क्योंकि उनके दिल्ली मॉडल के विकास ने केंद्र को डरा दिया था।

भाजपा शुरू से ही करती आ रही है इसका विरोध
भाजपा ने दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर जनवरी में जगह-जगह प्रदर्शन किए थे। भाजपा शुरू से ही राजधानी दिल्ली में नई आबकारी नीति का विरोध कर रही है। बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने सवाल उठाया था कि इससे दिल्ली में शराब की दुकानें बढ़ेंगी। इस नीति में पैसे तय करने से लेकर ब्रांड तय के अधिकार ठेकदारों के पास होंगे। दिल्ली में पहले 250 निजी ठेके थे, नई आबकारी नीति के बाद यह संख्या बढ़कर 850 हो गई। अगर बैंक्वेट हॉल, बार, एयरपोर्ट और बाकी जगहों को गिनें, तो यह संख्या 3000 के करीब है। क्लिक करके पढ़ें

कुमार विश्वास ने भी किया था विरोध
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के विरोध में कुमार विश्वास ने एक tweet करके कहा था-पीनेवालों की उम्र 21 से 18 करने और 1,000 नए ठेके खुलवाने की पालिसी लागू करने की सिफारिश लेकर 2016 में दिल्ली शराब माफिया, दारू जमाखोर विधायक के साथ मेरे पास आया था। मैंने उसे दुत्कार कर भगाया था और दोनों नेताओं को चेताया था।अब 'छोटेवाले' के साले ने 500 करोड़ की डील में मामला सेट कर लिया। क्लिक करके पढ़ें

क्या है नई शराब नीति 
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत निजी तौर पर चलने वालीं 260 दुकानों समेत सभी 864 शराब की दुकानें खुली निविदा के जरिए निजी कंपनियों को वितरित की गई हैं। नई व्यवस्था से दिल्ली सरकार खुदरा शराब के व्यापार से बाहर हो जाएगी। शराब की दुकानें अब कम से कम 500 वर्ग फुट क्षेत्र में खोली गई हैं। दुकानें अब वातानुकूलित व सीसीटीवी से लैस हैं। हालांकि दिल्ली सरकार तर्क देती रह है कि नई दुकान की वजह से सड़क पर भीड़ नहीं लगेगी, क्योंकि शराब की बिक्री दुकानों के भीतर ही की जाएगी। नई आबकारी नीति के तहत 2,500 वर्ग फीट के क्षेत्रफल वाले 5 सुपर-प्रीमियम रिटेल आउटलेट्स खोले गए हैं, जहां शराब पीने की भी सुविधा है।

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