सार
पूर्व पुलिस उपायुक्त पी राधाकृष्ण राव ने अपने छह पन्नों के बयान में यह आरोप लगाया है। राधाकृष्ण राव ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व सीएम या उनके परिवार की परेशानियां बढ़ाने वाले लोगों के खिलाफ भी सत्ता का उपयोग किया गया।
Telangana Phone Tapping case: तेलंगाना फोन टैपिंग मामले की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। आरोप है कि तत्कालीन सीएम के.चंद्रशेखर राव, बीजेपी के सीनियर लीडर बीएल संतोष पर अपनी बेटी के.कविता को ईडी मामले से छुटकारा दिलाने का दबाव बनाने रहे थे। ऐसा नहीं करने पर केसीआर उनको अरेस्ट करवाना चाहत रहे थे। पूर्व पुलिस उपायुक्त पी राधाकृष्ण राव ने अपने छह पन्नों के बयान में यह आरोप लगाया है। राधाकृष्ण राव ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व सीएम या उनके परिवार की परेशानियां बढ़ाने वाले लोगों के खिलाफ भी सत्ता का उपयोग किया गया।
फोन टैपिंग कांड में शामिल रहे पुलिस के पूर्व उपायुक्त पी.राधाकृष्ण राव को मार्च 2024 में हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित घर से अरेस्ट किया गया था। पूर्व पुलिस डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि बीआरएस के खिलाफ असहमति रखने वालों, सरकार का विरोध करने वालों या आंदोलन चलाने वालों को दबाने के लिए के लिए उनकी टीम सक्रिय थी।
बीजेपी ने की बीआरएस विधायकों के खरीद फरोख्त की कोशिश…
पूर्व सीनियर पुलिस अधिकारी पी.राधाकृष्ण राव, हैदराबाद सिटी टॉस्क फोर्स का भी हिस्सा रह चुके हैं। केसीआर को वह "पेड्डयाना" या अपने "बड़े" कहते थे। राधाकृष्ण ने बताया कि केसीआर को मामूली असहमति या आलोचना से चिढ़ था। उन्होंने बताया कि बीआरएस के तंदूर विधायक पंजुगुला पायलट रोहित शेट्टी को बीजेपी ने तोड़ने की कोशिश की तो इस मामले में केसीआर को बड़ा प्वाइंट मिल गया। इस मामले से वह बीजेपी के अपने प्रतिद्वंद्वियों को हटाने के साथ अपनी बात भी मनवा सकते थे। विधायक ने खरीद फरोख्त के दबाव वाली बात केसीआर को बताई थी। इस मामले में फंसे बीजेपी दिग्गजों से वह अपनी बेटी के कविता पर लगे ईडी मामले से छुटकारा का दबाव बनाए थे।
बीएल संतोष को अरेस्ट करने जा रही थी एसआईटी
उन्होंने बताया कि टी प्रभाकर राव उस समय स्पेशल इंटेलीजेंस ब्रांच के चीफ थे। कथित फोन टैपिंग ऑपरेशन वह ही चलवा रहे थे। बता दें कि टी प्रभाकर राव, फोन टैपिंग मामले में पहले नंबर के आरोपी हैं और वह यूएसए में हैं।
राधाकृष्ण राव ने बताया कि ऑडियो टेप की मदद से हैदराबाद के बाहरी इलाके में फार्महाउस में 'स्टिंग ऑपरेशन' के बाद तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई। उन्होंने बताया कि बीआरएस के विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच के लिए एसआईटी का गठन हुआ था। टीम उस समय बीजेपी नेता बीएल संतोष को अरेस्ट करना चाह रही थी। बीएल संतोष को मामले में एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था लेकिन तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। और इसके बाद पूछताछ नहीं हो सकी।
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