सार
केंद्र सरकार ने उत्तर-पूर्व भारत के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में कुछ पहल की हैं। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यहां कृषि और पर्यटन उद्योग में रोजगार की अपार संभावनाए हैं। मंत्री विभिन्न प्रोजेक्ट्स का रिव्यू कर रहे थे।
नई दिल्ली. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Narendra Singh Tomar) ने कहा कि भारत सरकार उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में हरसंभव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती(natural farming) के माध्यम से किसानों की स्थिति में सुधार होगा। प्राकृतिक खेती से मिट्टी की हेल्द में भी सुधार होता है। तोमर उत्तर पूर्वी क्षेत्र के राज्यों के कृषि क्षेत्र में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की 6 जनवरी को समीक्षा कर रहे थे।
टास्क फोर्स के गठन पर जोर
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी(Union Minister G Kishan Reddy) ने कहा कि कृषि मंत्रालय, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर एक टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिए। बैठक में डोनर राज्य मंत्री बीएल वर्मा और सभी 8 उत्तर पूर्वी राज्यों के कृषि मंत्री शामिल हुए। बैठक वर्चुअल हुई।
उत्तर-पूर्व क्षेत्र में कृषि को लेकर असीम संभावनाएं
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र में समृद्ध संसाधनों के साथ विविध जलवायु उपलब्ध है, जिसमें बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं और यह देश और दुनिया के लिए अपना योगदान दे सकती हैं। भारत सरकार अपनी क्षमता के हिसाब से यह सुनिश्चित करने की दिशा में पूरा प्रयत्न कर रही है कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र के किसानों की आय दोगुनी हो सके। उन्होंने कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती के माध्यम से खरीदे गए सामानों पर किसानों की निर्भरता को कम करने वाले प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा किया जाना चाहिए जो पारंपरिक क्षेत्र आधारित प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करके कृषि की लागत में कमी लाता है, जिससे प्राकृतिक खेती के माध्यम से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। उन्होंने सिक्किम और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों द्वारा जैविक खेती करने की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की।
औषधीय फसलों की सीमा बहुत विशाल
तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य और केंद्र के समन्वित प्रयासों से उत्तर पूर्वी क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है। बागवानी फसलों और औषधीय फसलों की सीमा बहुत विशाल है और इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध हैं। कृषि मंत्रालय भारतीय उत्पादों के निर्यात के लिए वाणिज्य मंत्रालय के साथ समन्वय के साथ काम कर रहा है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र से उच्च योगदान के साथ देश के खाद्य आयात को कम किया जा सकता है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र के किसानों का बीमा कवरेज बढ़ाया जाए। इस क्षेत्र में तेल पाम उत्पादन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं, जिसके लिए इस क्षेत्र के राज्यों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
रोजगार की अपार संभावनाएं
केंद्रीय उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास (डोनर), पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि कृषि और पर्यटन उद्योगों में रोजगार का निर्माण करने की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने उत्तर पूर्वी को जैविक खेती के हब के रूप में विकसित करने के वाले अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया है। इसके अलावा, इस क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में बागवानी के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। चाहे अनानास, संतरा, कीवी हो या हल्दी, अदरक, इलायची आदि मसाले हों, उत्तर पूर्वी राज्य बाजार में लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं और उन्हें अब वैश्विक स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी उत्पादों की मूल्य श्रृंखला को मजबूती प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एफपीओ, एसएचजी और निजी क्षेत्र को शामिल करके फसल कटाई के बाद के प्रबंधन में भी सुधार की आवश्यकता है। यह हमारे किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय, संबंधित मंत्रालयों और सभी उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच ज्यादा से ज्यादा समन्वय की स्थापना होनी चाहिए।
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