सार
उन्नाव की बेटी के साथ दरिंदों ने हैवानियत करने के बाद उसे जला दिया था। जिसका आज अंतिम संस्कार कर दिया गया। हजारों के इस भीड़ में बस एक ही चर्चा थी-उन्नाव की यह बेटी बहुत 'साहसी' थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक ग्रैजुएशन करने वाली यह बेटी अपने दिव्यांग भाई की देखभाल के लिए घर पर ही रहती थी।
उन्नाव. उत्तर प्रदेश के उन्नाव के एक गांव में शनिवार की शाम बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा थे। उन्हें अपनी 23 वर्षीय बहादुर बेटी के शव का इंतजार था। जिसके बाद शनिवार की देर शाम रेप पीड़िता का शव आया। जिसके बाद आज यानी रविवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्नाव की इस बेटी के साथ दरिंदों ने हैवानियत करने के बाद उसे जला दिया था। हजारों के इस भीड़ में बस एक ही चर्चा थी-उन्नाव की यह बेटी बहुत 'साहसी' थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक ग्रैजुएशन करने वाली यह बेटी अपने दिव्यांग भाई की देखभाल के लिए घर पर ही रहती थी। तमाम परेशानियों के बाद भी उसे कोर्ट पर भरोसा था और उम्मीद थी कि कोर्ट से उसे जरूर न्याय मिलेगा। वह कहती थी, 'जो डर गया, समझो मर गया।'
भाई के लिया जिया असाधरण जिंदगी
रेप पीड़िता के सबसे बड़े भाई की पत्नी ने कहा कि बहादुर बेटी ने अपने भाई के लिए असाधारण जिंदगी जिया और तमाम मुश्किलों का सामना किया। उन्होंने कहा, 'बहादुर बेटी के अंदर इतना साहस था कि वह अपना शोषण करने वालों के खिलाफ केस लड़ने के लिए खुद ही रायबरेली चली जाती थी। हम लोग उसे हमेशा समझाते थे कि ऐसे अकेले घर से बाहर मत जाओ। इस पर वह कहती थी, भाभी जो डर गया, समझो मर गया।'
पांच बहनों में है तीसरे नंबर पर है
पांच बहनों में तीसरे नंबर की उन्नाव की इस बेटी ने एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया भी था। एक गरीब ओबीसी परिवार से ताल्लुक रखने वाली 'उन्नाव की बेटी' पर अपने पिता और छोटे भाई का भी दायित्व था जो बहुत कम कमाते थे। करीब एक साल पहले 12 दिसंबर को गांव कुछ लोगों ने बंदूक की नोक पर पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न किया। आरोपियों में से एक पीड़िता को बहुत अच्छी तरह से जानता था।
3 महिने बाद दर्ज हुआ था केस
इस हैवानियत के अगले दिन ही बहादुर बेटी एफआईआर दर्ज पुलिस थाने पहुंच गई लेकिन पुलिस ने इस दर्ज नहीं किया। बहादुर बेटी ने हार नहीं मानी और पैरवी करना जारी रखा। तीन महीने बाद 4 मार्च को रायबरेली कोर्ट के आदेश पर उन्नाव के बिहार पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। उन्नाव की इस बेटी की बचपन की फ्रेंड कविता (बदला हुआ नाम) ने कहा, 'बेहद गरीब होने के बाद भी अपर कास्ट की हाइरार्की को चुनौती देने के लिए मैं उसकी प्रशंसक थी। वह बेहद जिंदादिल थी और उसे इस बात का कभी गम नहीं था कि उसने एक ब्राह्मण लड़के से प्यार किया।'
ब्राह्मण लड़के से किया प्यार
उन्नाव के इस गांव में जातिगत बाधाओं की जड़ें अभी भी बहुत गहरी हैं। पीड़िता के एक पूर्व सहपाठी ने कहा, 'कीचड़ से सने रास्ते के दो लेन देखिए। एक तरफ ब्राह्मण रहते हैं और दूसरी तरफ पिछड़े और दलित बिरादरी के लोग। हमें अपर कास्ट के लोगों के इलाके में जाने की अनुमति तक नहीं है। जिसके बाद एक ब्राह्मण लड़के के साथ प्रेम संबंध रखने का साहस किया।' बताया जा रहा कि पीड़िता और आरोपी शिवम भले ही इसी गांव में पैदा हुए हों लेकिन सोशल मीडिया पर जुड़ने से पहले दोनों के बीच कोई संबंध नहीं था।