सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी की यात्रा (PM Modi US Visit) के लिए रवाना हो गए हैं। इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच जेट इंजन मिलकर बनाने को लेकर समझौता हो सकता है। इससे भारत को जेट टेक्नोलॉजी मिलेगी।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अमेरिका की स्टेट विजिट पर निकल गए हैं। इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच जेट इंजन मिलकर बनाने पर समझौता हो सकता है। भारत जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा बनाए जाने वाले जेट इंजन GE-F414 को बड़ी संख्या में खरीदना चाहता है। भारत की कोशिश है कि जेट इंजन को भारत में तैयार किया जाए। इसके लिए अमेरिका से जेट इंजन से जुड़ी बेहद खास टेक्नोलॉजी को भारत ट्रांस्फर किए जाने की जरूरत होगी। जेट इंजन बनाने में अमेरिका को महारत हासिल है, लेकिन वह इसकी टेक्नोलॉजी किसी दूसरे देश को नहीं देता।
अमेरिका भारत को जेट इंजन से जुड़ी टेक्नोलॉजी देता है तो यह भारत के एविएशन सेक्टर के लिए मील का पत्थर होगा। भारत अपने भविष्य के लड़ाकू विमानों के लिए अपना बेहतर इंजन विकसित कर पाएगा। अमेरिका और भारत के बीच जेट इंजन को लेकर समझौता होता है तो जनरल इलेक्ट्रिक अपने GE-F414 इंजन का उत्पादन इंडिया में कर सकता है। इसके लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ सौदा होगा। अमेरिका, फ्रांस, यूके और रूस जैसे दुनिया के चंद देशों को जेट इंजन टेक्नोलॉजी में महारत है। भारत में कावेरी नाम का जेट इंजन बनाया जा रहा है, लेकिन इसमें अभी तक अपेक्षित सफलता नहीं मिली है।
LCA-Mark2 में लगेगा GE-F414 इंजन
गौरतलब है कि जनरल इलेक्ट्रिक का GE-F414 अत्याधुनिक जेट इंजन है। यह अमेरिकी लड़ाकू विमान F/A-18 हॉर्नेट में लगता है। इस विमान का इस्तेमाल अमेरिकी नौ सेना द्वारा किया जाता है। भारतीय नौ सेना के लिए भी F/A-18 सुपर हॉर्नेट खरीदने पर बात चल रही है। इस डील की रेस में फ्रांस का राफेल एम भी है। भारत अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के अगले वर्जन तेजस मार्क टू (LCA-Mark2) में GE-F414 इंजन लगाना चाहता है। रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका सौदे के मूल्य के 80 प्रतिशत तक की प्रमुख टेक्नोलॉजी को ट्रांस्फर करने को तैयार है। अगर यह डील होता है तो जनरल एलेक्ट्रिक HAL के साथ पार्टनरशिप में भारत में अपनी फैक्ट्री खोलेगा।
जेट इंजन के डील से वायुसेना को होगा लाभ
जेट इंजन के डील से इंडियन एयरफोर्स को भी लाभ होगा। एयरफोर्स को भरोसेमंद और लंबे वक्त तक काम करने वाला जेट इंजन मिलेगा। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के अधिकतर विमान रूसी हैं। रूसी इंजन अमेरिका और यूरोप के इंजन की तुलना में कम भरोसेमंद माने जाते हैं। इन्हें अधिक मेंटेनेंस की जरूरत होती है। कुछ सौ घंटे उड़ान के बाद ही रूसी इंजन को ओवरहॉल करने की जरूरत होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार जनरल एलेक्ट्रिक का इंजन रूसी इंजन की तुलना में हल्का, अधिक ताकतवर और ईंधन की बचत करने वाला है। इसे भविष्य के इस्तेमाल के अनुसार अपग्रेड भी किया जा सकता है।