सार
एक पुरानी रिपोर्ट सामने आई है, जब स्वामीनाथन आयोग ने 2010 में न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश की थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था।
किसान आंदोलन। किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की जा रही है। किसान संगठन की मांग है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ा दें। हालांकि, इस पर एक पुरानी रिपोर्ट सामने आई है, जब स्वामीनाथन आयोग ने 2010 में न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश की थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था। राष्ट्रीय किसान आयोग समिति ने सिफारिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य किसी भी फसल की उत्पादन लागत से कम से कम 50% अधिक तय किया जाना चाहिए।
तत्कालीन सरकार ने दलील दी थी कि MSP की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा अनिवार्य मानदंडों के आधार पर और प्रासंगिक कारकों की व्यर्थता पर विचार करते हुए की जाती है, इसलिए लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित की जाती है। अगर इसे बढ़ा दिया गया तो इससे बाजार में बिखराव आ सकता है।
आजादी के बाद से MSP को लेकर मांग
बता दें कि आज किसान जिस MSP को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इसकी मांग आजादी के बाद से ही की जा रही है। हालांकि, इसको लेकर अभी तक कोई भी कानून नहीं बनाया गया है। ये बात कांग्रेस के सरकार में भी देखी गई, जब उन्होंने स्वामीनाथन आयोग के द्वारा MSP को बढ़ाने की मांग की गई और उसे मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने खारिज कर दिया था। हालांकि, देश के कुछ राज्यों ने आधे-अधूरे तरीकों से MSP पर कानून जरूर बनाया है पर शायद ही ये सफल हुआ हो।
हालांकि ,आज से तीन साल पहले यानी 2021 में भी किसानों ने MSP को लेकर भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन किया था. वहीं हाल ही में किसान संगठन के नेता राकेश टिकैत ने विरोध प्रदर्शन पर कहा कि दिल्ली चलो मार्च का ऐलान किसान यूनियन ने किया, लेकिन अगर उनके साथ किसी तरह का अन्याय होता है तो देश भर के किसान उनके साथ खड़े होंगे।
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