सार

उपराष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खरीखोटी सुनाई। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक के द्वारा दूसरे के क्षेत्र में कोई भी घुसपैठ, चाहे वह कितनी भी सूक्ष्म क्यों न हो, शासन की गाड़ी को अस्थिर करने की क्षमता रखती है।

Supreme Court collegium: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लेकर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी तल्ख टिप्पणी की है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करने पर संसद में कोई सवाल नहीं किया गया लेकिन संसद के बनाए कानून को रद्द करना एक गंभीर मुद्दा है। संसद अगर कोई कानून पारित करता है तो वह लोगों की इच्छा को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कभी किया हो ऐसा उदाहरण दुनिया में नहीं देखने को मिला। उपराष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खरीखोटी सुनाई। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक के द्वारा दूसरे के क्षेत्र में कोई भी घुसपैठ, चाहे वह कितनी भी सूक्ष्म क्यों न हो, शासन की गाड़ी को अस्थिर करने की क्षमता रखती है।

संसद का मतलब भारत के लोग

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को दिल्ली में एलएम सिंघवी स्मारक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में "हम लोग" का उल्लेख है। यह संसद लोगों की इच्छा को दर्शाती है। संसद लोगों की जनभावनाओं के अनुसार कानून बनाता। लोकतंत्र की सारी शक्ति लोगों में है। संसद, उन्हीं लोगों का जनादेश है।

सर्वसम्मति से बनाए गए कानून को रद्द करना अनुचित

श्री धनखड़ ने कहा कि एनजेएसी अधिनियम को 2015-16 में संसद में पारित किया गया था। संसद एक संवैधानिक संशोधन अधिनियम को पास कर रही थी। रिकॉर्ड के अनुसार यह अधिनियम पूरी लोकसभा में सर्वसम्मति से मतदान द्वारा पास हुआ था। राज्यसभा भी एकमत थ। केवल एक राज्यसभा सदस्य की अनुपस्थिति थी। संसद की एकजुटता के बाद अध्यादेश एक संवैधानिक प्रावधान में बदल गया था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने संसद की भावना यानी लोगों की भावनाओं को दरकिनार कर उसे रद्द कर दिया। दुनिया ऐसी किसी भी घटना के बारे में नहीं जानती है।

पूर्व में भी धनखड़ उठा चुके हैं इस मुद्दे को...

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पूर्व में भी एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने के फैसले पर सवाल उठा चुके हैं। उपराष्ट्रपति ने 26 नवंबर को दिल्ली में संविधान दिवस समारोह में इसी तरह की भावना व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि वह हैरान थे कि इस फैसले (एनजेएसी) के बाद संसद में कोई कानाफूसी नहीं हुई। इसे इस तरह लिया गया। यह बहुत गंभीर मुद्दा है। लेकिन कानून के एक विनम्र छात्र के रूप में, क्या संसदीय संप्रभुता से कभी समझौता किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के विकास के लिए कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का सामंजस्यपूर्ण कामकाज महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक के द्वारा दूसरे के क्षेत्र में कोई भी घुसपैठ, चाहे वह कितनी भी सूक्ष्म क्यों न हो, शासन की गाड़ी को अस्थिर करने की क्षमता रखती है।

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