सार

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने RSS प्रमुख मोहन भागवत की Z+ सुरक्षा को अपग्रेड करके उसमें ASL प्रोटोकॉल जोड़ा है। अब भागवत की सुरक्षा व्यवस्था गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समान हो गई है।

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने RSS प्रमुख मोहन भागवत को मिली Z+ सिक्योरिटी को अपग्रेड किया है। इसमें ASL (Advanced Security Liaison) प्रोटोकॉल जोड़ा गया है। अब भागवत की सुरक्षा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी जितनी हो गई है।

मोहन भागवत को पहले से Z+ सुरक्षा मिली हुई थी। CISF के कमांडो और अन्य सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा करते हैं। भागवत की सिक्योरिटी को लेकर बढ़ती चिंताओं के चलते केंद्र सरकार ने ASL प्रोटोकॉल भी जोड़ दिया है।

क्या होती है ASL सुरक्षा?

ASL का फुल फॉर्म Advanced Security Liaison है। इसमें जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और जिस व्यक्ति को सुरक्षा मिली है उनसे संबंधित अन्य विभाग व स्थानीय एजेंसियां ​​सक्रिय भूमिका निभाती हैं। ASL प्रोटोकॉल उन हाई-प्रोफाइल लोगों की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है जिन्हें बहुत अधिक खतरा है।

ASL प्रोटोकॉल में क्या शामिल है?

ASL प्रोटोकॉल में Z+ सुरक्षा दे रहे अधिकारी स्थानीय पुलिस और अन्य विभागों के साथ मिलकर काम करते हैं। जिस व्यक्ति को सुरक्षा मिली है उसकी यात्रा से पहले संबंधित जगह की जांच होती है। वीआईपी के पहुंचने से पहले केंद्रीय और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के सदस्यों सहित एक संयुक्त टीम पूरी जांच करती है। यह देखा जाता है कि क्या यहां खतरा हो सकता है। अगर कोई घटना होती है तो बचकर निकलने के कौन से रास्ते हैं।

ASL सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के चारों ओर कई सुरक्षा घेरे बनाए जाते हैं। प्रत्येक परत पर एक अलग सुरक्षा एजेंसी होती है। ASL प्रोटोकॉल का एक अभिन्न अंग तोड़फोड़ विरोधी जांच है। इसमें विस्फोटक या अन्य खतरनाक सामान के लिए कार्यक्रम स्थल की सफाई करना शामिल है।

वीआईपी की यात्रा के हर पहलू की सावधानीपूर्वक योजना बनाई जाती है। यात्रा के लिए चुने जाने वाले रास्ते से लेकर , सुरक्षा में शामिल कर्मियों तक, सभी बातों पर ध्यान दिया जाता है। इसकी योजना भी बनाई जाती है कि आपातकालीन स्थिति में क्या करना है।

क्या है Z+ सुरक्षा?

भारत में वीआईपी लोगों को कई कैटेगरी में सुरक्षा मिलती है। यह इस बात से तय होता है कि संबंधित व्यक्ति की जान को कितना खतरा है। Z+ सुरक्षा का दूसरा सबसे उच्च स्तर है। पहले नंबर पर SPG है। यह सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री को मिलती है। Z+ में 55 सुरक्षाकर्मी हर वक्त वीआईपी की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं। इनमें से 10 से अधिक एनएसजी कमांडो होते हैं। Z+ के मामले में जरूरत पड़ने पर सुरक्षाकर्मी की संख्या बढ़ाई भी जाती है। एनएसजी कमांडो अत्यधिक प्रशिक्षित और मार्शल आर्ट में एक्सपर्ट होते हैं। इनके पास एमपी5 गन जैसे आधुनिक हथियार रहते हैं।

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