पटना के गांधी मैदान में राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा के समापन पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर कड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जल्द मतदाता सूची में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा करेगी, जिसे "हाइड्रोजन बम" कहा जाएगा। 

Hydrogen Bomb: पटना के गांधी मैदान में वोटर अधिकार यात्रा का समापन हुआ। इस अवसर पर भाषण देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर जमकर हमला किया। चेतावनी दी कि कांग्रेस जल्द मतदाता सूची में हेराफेरी के खुलासों का "हाइड्रोजन बम" गिराएगी। राहुल गांधी ने अपनी बयानबाजी को वजन देने के लिए हाइड्रोजन बम शब्द का इस्तेमाल किया। असल जीवन में हाइड्रोजन बम गिराने की बात करना तो दूर इसके बारे में सोचना भी बेहद खौफनाक है। यह परमाणु बम से भी ज्यादा घातक होता है। आइए जानते हैं हाइड्रोजन बम क्या है और क्या भारत के पास ऐसा हथियार है।

Scroll to load tweet…

क्या है हाइड्रोजन बम?

Britannica.com के अनुसार, हाइड्रोजन बम असल में थर्मोन्यूक्लियर बम है। इसमें बहुत अधिक गर्मी के चलते हाईड्रोजन के दो परमाणु मिलकर हीलियम का एक परमाणु बनाते हैं। इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) कहा जाता है। इससे बहुत अधिक ऊर्जा निकलती है। एक बार हाईड्रोजन से हीलियम बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाए तो यह तब तक नहीं रुकती जब तक बम में मौजूद पूरा हाईड्रोजन हीलियम में नहीं बदल जाए।

सूर्य को इसी नाभिकीय संलयन प्रक्रिया से ऊर्जा मिलती है। नाभिकीय संलयन शुरू होने के लिए जरूरी उच्च तापमान परमाणु बम के विस्फोट से पैदा होता है। इस तरह, एक हाइड्रोजन बम में परमाणु बम भी होता है। पहले परमाणु बम में धमाका होता है। इसके बाद हाइड्रोजन बम का विस्फोट होता है। थर्मोन्यूक्लियर बम परमाणु बमों से सैकड़ों या हजारों गुना अधिक शक्तिशाली हो सकते हैं।

परमाणु बम से कितना अलग है हाइड्रोजन बम?

Britannica.com के अनुसार, परमाणु बम और हाइड्रोजन बम के काम करने का तरीका अलग है। परमाणु बम में एक भारी परमाणु टूटकर दो हिस्से में बंटता है। जब एक न्यूट्रॉन यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 के परमाणु के नाभिक से टकराता है तो यह उसके दो टुकड़े कर देता है। प्रत्येक नाभिक में मूल नाभिक के लगभग आधे प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं। परमाणु के टूटने की इस प्रक्रिया के चलते भारी मात्रा में ऊर्जा और रेडियोएक्टिव किरणें निकलती हैं। इससे भारी तबाही होती है। आसान शब्दों में समझें तो परमाणु बम में एक भारी परमाणु टूटकर दो हल्के परमाणु में बदलता है। दूसरी ओर हाइड्रोजन बम में दो हल्के परमाणु मिलकर एक भारी परमाणु बनाते हैं।

यह भी पढ़ें- 'वोटर अधिकार यात्रा' के समापन पर राहुल गांधी ने किया 'हाइड्रोजन बम' फोड़ने का ऐलान

क्या भारत के पास है हाइड्रोजन बम?

हां, भारत उन चंद देशों में शामिल है, जिसके पास हाइड्रोजन बम या थर्मोन्यूक्लियर बम है। भारत ने 11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में 5 परमाणु टेस्ट किए थे। पहले तीन विस्फोट 11 मई को भारतीय समयानुसार 15:45 बजे एक साथ हुए। इनमें एक 45 किलोटन का थर्मोन्यूक्लियर बम, एक 15 किलोटन का परमाणु बम और एक 0.2 किलोटन का सब-किलोटन (यानी 1 किलोटन से कम) का परमाणु बम था। 13 मई को एक साथ दो बम टेस्ट हुए थे। ये सब-किलोटन रेंज (0.5 और 0.3 किलोटन) के परमाणु बम थे।