सार
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी को मिला गिरफ्तारी का अधिकार मनमानी नहीं है। आखिर क्या है PMLA एक्ट और इससे क्यों कांपते हैं नेता।
PMLA Act : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA)के तहत ईडी को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को जस का तस रखा है। कोर्ट ने ये फैसला PMLA एक्ट को चुनौती देने वाली 250 से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया। बता दें कि PMLA एक्ट के तहत ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी से पूछताछ की जा चुकी है। जानते हैं, आखिर क्या है ये एक्ट और कैसे ईडी को भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाता है ताकतवर।
क्या है PMLA एक्ट?
PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) एक ऐसा कानून है, जो भ्रष्टाचार करने वाले लोगों के खिलाफ शिकंजा कसता है। यह कानून NDA के शासनकाल में 2002 में बना। हालांकि, इसे 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में तब लागू किया गया, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। PMLA कानून में पहली बार बदलाव भी 2005 में चिदंबरम ने ही किया था।
PMLA एक्ट के तहत ED को मिलती है ये पावर :
1- PMLA एक्ट जांच एजेंसी ED को कई अधिकार देता है। इस कानून के तहत एजेंसी भ्रष्टाचार के आरोपी, पैसों का हेर-फेर करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने की ताकत देता है।
2- इसके अलावा PMLA एक्ट करप्शन के आरोपियों के घर छापा मारने और उनकी प्रॉपर्टी को जब्त करने का भी अधिकार देता है।
3- मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ED को करप्शन के आरोपी नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है।
जानें क्यों PMLA एक्ट और ED से खौफ खातें हैं नेता :
ईडी की जांच के दायरे में अब तक कई नेता आ चुके हैं। इनमें कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी, जमीन खरीदी घोटाले में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा, आईएनएक्स घोटाले के आरोप में पी चिंदबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम, नेशलनल हेराल्ड केस में सोनिया और उनके बेटे राहुल गांधी से भी पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा हाल ही में बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को भी ईडी गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ कर रही है।
क्या है ED?
ED भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के तहत आने वाली एक स्पेशल जांच एजेंसी है, जो वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े मामलों की जांच करती है। ED का गठन 1 मई 1956 को किया गया था। पहले इसका नाम एन्फोर्समेंट यूनिट था। हालांकि, 1957 में इसका नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया।
क्या काम करती है ED?
बता दें कि ईडी विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने, विदेशी मुद्रा का गैरकानूनी कारोबार करने और मनी लॉन्ड्रिंग (पैसों का हेरफेर) के मामलों की जांच करती है। ईडी फेरा और फेमा कानून के तहत एक्शन लेती है। इसमें आईएएस, आईपीएस और आईआरएस रैंक के अधिकारी होते हैं।
अब तक 1 लाख करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी अटैच कर चुकी ED:
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के मुताबिक PMLA के तहत 4700 मामलों की जांच की गई। अब तक केवल 313 गिरफ्तारियां हुई हैं। 388 केस में तलाशी की गई है। ED ने पिछले 5 साल में दर्ज 33 लाख अपराधों में से केवल 2186 मामलों की जांच करने का फैसला किया है। ED भ्रष्टाचार के मामले में अब तक एक लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच कर चुकी है।
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