सार

अयोध्या के राम मंदिर में विराजित रामलला की भव्य मूर्ति को मैसूर के रहने वाले अरुण योगीराज ने बनाया है। योगीराज ने हाल ही में एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा से बातचीत में बताया कि उनकी बनाई मूर्ति देख कैसा था ट्रस्टीज का रिएक्शन।  

Arun Yogiraj Exclusive Interview: 500 साल की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर तैयार है। मंदिर में विराजे रामलला के बालरूप को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तराशा है। एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने हाल ही में योगीराज से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा बनाई गई मूर्ति को देखकर आखिर ट्रस्टीज का रिएक्शन कैसा था?

दोबारा मिले चांस को मैं बिल्कुल गंवाना नहीं चाहता था

अरुण योगीराज ने बताया कि मेरी पहली मूर्ति की एक रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद मुझे अपना काम पूरा करने के लिए रोजाना 4 घंटे एक्सट्रा वर्क करना पड़ा। इस दौरान मेरी फिजिकल फिटनेस ने बहुत साथ दिया। मैं किसी भी कीमत पर क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहता था, क्योंकि मुझे जो ये मौका मिला था, ये लाइफटाइम चांस था और मैं नहीं चाहता था कि अपना एक मिनट भी बेकार जाने दूं। यहां तक कि मैं सोते वक्त भी यही देखता था कि मैं मूर्ति पर काम कर रहा हूं।

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मूर्ति से जैसे ही कपड़ा हटा, देखने लायक था सभी ट्रस्टी का रिएक्शन

अरुण योगीराज के मुताबिक, मेरे पास 28 दिसंबर को फोन आया और कहा गया कि सभी ट्रस्टी आ रहे हैं। कमेटी मेंबर के सामने आपके काम को दिखाया जाएगा। इसके बाद वो दिन आ गया, जब हम सभी के सामने मूर्तियां थीं, जिन्हें पीले रंग के कपड़े से ढंका गया था। मैंने वहां मौजूद सभी लोगों को मूर्ति और उसे बनाने के दौरान अपने थॉट प्रॉसेस के बारे में बताया। इसके बाद मैंने जैसे ही मूर्ति में लगे कपड़े को हटाया तो वहां मौजूद सभी ट्रस्टी का रिएक्शन देखने लायक था। वे सभी हाथ जोड़कर खड़े हो गए। मुझे लगा रामलला ने यहां स्वयं ही सबकुछ कह दिया।

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कौन हैं अरुण योगीराज?

अरुण योगीराज कर्नाटक स्थित मैसूर के रहने वाले हैं। उनका परिवार पिछले 250 साल से मूर्तिकला का काम कर रहा है। अरुण योगीराज अपने खानदान में पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। शुरुआत में अरुण योगीराज पिता और दादा की तरह मूर्तियां बनाने के पेशे में नहीं आना चाहते थे। यही वजह रही कि उन्होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया और बाद में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने लगे। हालांकि, 9 से 5 की जॉब में वे संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से खुद को मूर्तिकला के काम में समर्पित कर दिया। योगीराज ने अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया और आज देश के सबसे बड़े मूर्तिकारों में शामिल हैं।

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