सार

हार्दिक पटेल के बाद अब एक और बड़े नेता ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है। वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी का समर्थन लेकर राज्यसभा के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। 

नई दिल्ली। गुजरात में हार्दिक पटेल के बाद अब कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर रहे कपिल सिब्बल ने आखिरकार पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही सिब्बल ने समाजवादी पार्टी के समर्थन से अब राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है। नामांकन दाखिल करने के बाद कपिल सिब्बल ने बताया कि वो 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। बता दें कि सिब्बल ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा के लिए नामांकन भरा है, जिसे सपा समर्थन दे रही है। आखिर कौन हैं कपिल सिब्बल और क्यों छोड़ी कांग्रेस? आइए जानते हैं। 

कौन हैं कपिल सिब्बल : 
कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) का जन्म 8 अगस्त, 1948 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। इनके पिता का नाम हीरालाल सिब्बल और मां का कैलाश रानी सिब्बल है। इनकी फैमिली 1947 के बंटवारे में भारत आकर बस गई थी। सिब्बल के पिता हीरालाल भी पेशे से वकील थे और उन्हें भारत सरकार ने 2006 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। 

देश ही नहीं, विदेश में की कानून की पढ़ाई : 
कपिल सिब्बल 1964 में पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए। यहां उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास (MA) और कानून (LLB) में डिग्री ली। इसके बाद 1972 में उन्होंने बार एसोसिएशन ज्वॉइन कर लिया। 1973 में सिब्बल आईएएस के लिए सिलेक्ट हो गए थे, लेकिन उन्होंने उन्होंने खुद लॉ प्रैक्टिस करने का फैसला किया। 1977 में उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम की डिग्री ली। 1983 में उन्हें सीनियर लॉयर की उपाधि मिली। 

ऐसा रहा राजनीतिक करियर : 
1973 में आईएएस बनने का ऑफर ठुकराने के बाद कपिल सिब्बल ने कानून के फील्ड में ही अपनी एक अलग जगह बनाई। 1989-90 में वो भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ADG) भी बने। कपिल सिब्बल ने 2004 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली एनसीआर के चांदनी चौक से जीत हासिल की। उन्होंने बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराया। इसके बाद वो मनमोहन सिंह की सरकार में विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री भी रहे। कपिल सिब्बल ने 2009 में एक बार फिर चांदनी चौक से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। 

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