सार

विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर केंद्र की मोदी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों को जानकारी दी। इसमें बताया गया है कि किस तरह से 2014 के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आया और कितने लोगों को लाभ मिल रहा है। 

नई दिल्ली वर्ल्ड हेल्थ डे (World Heath day) के मौके पर भारत सरकार ने अपने ट्विटर हैंडल पर स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं के बारे में जानकारी शेयर की। उसने कोविड-19 महामारी के दौर में सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई स्वास्थ्य सेवाओं का ब्योरा शेयर किया। 

MyGovIndia ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जो जानकारी दी, उसमें कहा गया है कि WorldHealthDay पर यहां कुछ आश्चर्यजनक तथ्य दिए गए हैं, जो आपको हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर गर्व का अनुभव कराएंगे। इस स्वास्थ्य प्रणाली और सेवाओं ने हमारे राष्ट्र को सशक्त बनाया है और हमें एक स्वस्थ भारत बनाने में मदद की है! ट्वीट में कहा गया है कि सरकार का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि हर नागरिक को उच्च गुणवत्ता और किफायती स्वास्थ्य सेवा आसानी से उपलब्ध हो सके। 

 

185 करोड़ कोविड वैक्सीन लगाई, पोलियो मुक्त हुआ देश
सरकार ने इस ट्वीट में कोविड वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें बताय गया है कि देश ने 185 करोड़ वैक्सीन के डोज लगा दिए हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन ड्राइव है। इसके साथ ही पोलियाे मुक्त भारत के बारे में भी जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि 2014 के बाद से भारत में एक भी पोलिया का मरीज नहीं मिला है। 

 

आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया  है कि 3.11 करोड़ से अधिक लोग इस योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ केयर स्कीम है। 

मेडिकल सर्विलांस में सुरक्षित प्रसव बढ़े
देश में गर्भवती महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना चल रही है। इस योजना के तहत 3.19 करोड़ से अधिक नि:शुल्क चेकअप हो चुके हैं। यह स्कीम  2016 से जारी है। देशभर में बढ़ती स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का नतीजा है कि अब देश में 89.4 प्रतिशत बच्चों का जन्म डॉक्टरों की निगरानी में हो रहे हैं। 2015-16 में 81 फीसदी ही जन्म डॉक्टरों या मेडिकल स्टाफ की निगरानी में होते थे। 2015-16 में संस्थागत प्रसव 78.9 फीसदी होते थे, जो 2019-21 में 88.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इन प्रयासों का नतीजा है कि 2014 से 2019 के बीच प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु का आंकड़ा 25 फीसदी कम हुआ है। 

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