सार
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में भारतीय वेट लिफ्टर जेरेमी लालरिनुंगा ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का माथा गर्व से उंचा कर दिया है। जेरेमी की उम्र मात्र 19 साल है और सीनियर लेवल पर पहला बड़ा टूर्नामेंट रहा।
Commonwealth Games. कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में गोल्ड मेडल विनर जेरेमी लालरिनुंगा ने एशियानेट न्यूज के साथ खास मुलाकात में कहा कि अभी तो यह शुरूआत हुई है और आगे उन्हें मौके मिलेंगे तो वे देश के लिए बहुत कुछ कर सकेंगे। इस बातचीत में जेरेमी ने आर्मी बैकग्राउंड, फैमिली, सोशल लाइफ और दोस्तों के बारे में भी खुलकर बात की। एशियानेट न्यूज के राजेश कालरा से विशेष बातचीत के दौरान वेट लिफ्टर खिलाड़ी जेरेमी ने कहा कि उनकी तैयारी अब पेरिस ओलंपिक के लिए होगी। जेरेमी ने और क्या-क्या कहा? जानने के लिए पढ़ें यह एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...
9 साल की उम्र में प्रैक्टिस शुरू की
कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाने वाले जेरेमी से जब यह पूछा गया कि आपने कितनी उम्र में यह सीखना शुरू किया तो उन्होंने कहा कि 2011 में जब मैं 9 साल का था, तभी से हमने इसकी प्रैक्टिस शुरू कर दी। जेरेमी ने रोल मॉडल के सवाल पर जवाब दिया कि जब में खेल में उतरा तो कुछ पता नहीं था। फिर रोनाल्डो के बारे में तो उन्हें अपना आइकन मानने लगा। लेकिन हमारी असली आइकन दीदी (मीराबाई चानू) हैं। जो हमेशा हमारे साथ रहती हैं। कुछ कमी रह जाती है तो मैं दीदी से शेयर करता हूं। प्रैक्टिस में कोई कमी होती है तो दीदी हमें गाइड करती हैं।
इंडियन आर्मी से बहुत कुछ सीखा
जेरेमी को आर्मी से मिली ट्रेनिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं 2012 से ही आर्मी से जुड़ा हूं। तब से वहीं से ट्रेनिंग भी ले रहा हूं। आर्मी से बहुत कुछ सीखने को मिला है। अभी भी हमारी आर्मी की ट्रेनिंग चलती है। मेडल जीतने के बाद जब तिरंगा उपर उठाया गया और राष्ट्र गान बजा तो तिरंगे को सैल्यूट करने वाले जेरेमी ने कहा कि जब भी हमारा तिरंगा हवा में लहराता है तो सैल्यूट मारने का ही दिल करता है। आप तो जानते ही हैं कि तिरंगे के प्रति आर्मी का क्या जज्बा है। तिरंगे को सलाम करने के लिए हमारा हाथ ऑटोमैटिक उपर उठ जाता है। कोच के सवाल पर जेरेमी ने कहा कि 2016 के बाद से तो विजय सर ही कोच हैं। 2012 से 2016 तक मैंने आर्मी कोच के साथ काम किया है। आर्मी की फैसिलिटी बहुत अच्छी है। मैं उसी से आगे बढ़ा हूं।
सीनियर लेवल पर पहला मेडल
कॉमनवेल्थ गेम के दौरान हुई इंजरी के बारे में पूछे जाने पर गोल्ड मेडल विनर जेरेमी लालरिनुंगा ने कहा कि जब इवेंट चालू हुआ तो मुझे क्रैंप्स हो गया था। मैं चल भी नहीं पा रहा था। लेकिन कोच सर की मदद से मैंने पूरा भार उठाया। क्रैंप्स की वजह से मैं अपना बेस्ट नहीं दे पाया। मैं तो चाहता था कि दिखा दूं कि कितना वजन उठा सकता हूं लेकिन कुछ प्रॉब्लम की वजह से नहीं कर पाया। सीनियर लेवल पर पदक जीतने पर जेरेमी ने कहा कि यूथ, यूथ होता है सर वह अलग लेवल का गेम है और सीनियर लेवल पर काफी मेहनत करना पड़ता है। सीनियर के साथ प्रैक्टिस करना यह सब काफी मुश्किल होता है। मैं यूथ में 62 किलोग्राम में पार्टिसिपेट करता था लेकिन सीनियर लेवल पर आकर कैटगरी चेंज की। वेट बढ़ाया और 67 किलोग्राम में भाग लिया।
भाई-भाई के बीच होगी फाइट
वर्ल्ड चैंपियनिशप की तैयारी के सवाल पर जेरेमी ने कहा कि अभी तो जो इंजरी है, उसे ठीक करना है। फिर कैटगरी चेंज करूंगा और 73 किलोग्राम में पार्टिसिपेट करने की तैयारी करूंगा। जब 73 किलोग्राम के लिए जाएंगे तो अचिंत्य के साथ कंपीटिशन करना पड़ेगा, इस सवाल पर जेरेमी ने हंसते हुए कहा कि पता नहीं सर लेकिन अचिंत्या भी उपर के बारे में सोचेंगे, देखते हैं फाइट करेंगे। मतलब यह भाई-भाई जैसी फाइट होगी। वहीं फैमिली के बारे में जेरेमी ने कहा कि मेरे पिता नेशनल लेवल के गोल्ड मेडल विनर हैं और अपने अनुभव हमसे शेयर करते हैं। मैं भी उनकी बातों को ध्यान से सुनता हूं और उस पर अमल भी करता हूं।
इंजरी से उबरकर ही बनते हैं असली खिलाड़ी
जेरेमी से पूछा गया कि आपने कई इंजरीज भी फेस की है। कैसा रहा इन सारी चोटों के बाद यह मुकाम हासिल करना। इस पर जेरेमी ने कहा कि यह सही है कॉमनवेल्थ गेम्स में आने से पहले मुझे बैक इंजरी हुई, तब पता चला कि स्पाइनल में कुछ गैप है। इधर गेम से 1 महीने पहले ही आया। इससे पहले मैंने प्रैक्टिस नहीं की सिर्फ रिहैब ही चल रहा था। यहां आने के बाद हमने वेट उठाना शुरू किया। हर एथलीट की लाइफ में इंजरी होती हैं, उसे भरकर ही हम सीखते हैं। जो खिलाड़ी इंजरी को ठीक करके आगे बढ़ता है वही असली प्लेयर है। मैंने भी ऐसा ही करने की कोशिश की।
अगला टार्गेट पेरिस ओलंपिक
जेरेमी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद पहला ट्वीट किया कि यह तो सिर्फ शुरूआत है...इस पर जेरेमी ने कहा कि जी बिल्कुल, अगला लक्ष्य पेरिस ओलंपिक है। यह सिर्फ शुरूआत है क्योंकि सीनियर लेवल पर यह मेरा पहला बड़ा टूर्नामेंट है। अभी मुझे कई मौके मिलेंगे इसलिए मैं कह रहा हूं कि यह सिर्फ शुरूआत है। सभी देखेंगे कि मैं क्या कर सकता हूं। गोल्ड जीतने के बाद किसके फोन आए, इस सवाल पर जेरेमी ने कहा कि कहां-कहां से फोन आया, कुछ याद नहीं है।
मोबाइल वॉलपेपर में गोल्ड मेडल
जब जेरेमी से यह पूछा गया कि सुना है आपने गोल्ड मेडल की फोटो अपने मोबाइल वॉलपेपर पर लगाई है। तो युवा वेटलिफ्टर ने कहा कि हां यह सच है और अभी भी वह वॉलपेपर ही लगा है। करीब 3 महीने पहले जब ट्वीटर पर मेडल का डिजाइन आया तो मैंने उसे डाउनलोड किया। फिर क्राप करके सिर्फ गोल्ड मेडल को वॉलपेपर बनाया है क्योंकि मैं चाहता था कि मुझे गोल्ड मिले। जो चाहता था वह अब मेरे हाथ में हैं। जेरेमी ने कहा कि वे 6 अगस्त को इंडिया पहुंच जाएंगे।
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