सार
दिल को सलाम करने वाली यह कहानी ट्रैफिक ब्रिगेड की कर्मचारी दिव्या नटवरभाई वाल्मीकी हैं, जो कि अपने डेढ़ साल की बच्ची जास्मीन को लेकर ड्यूटी करने के लिए आती हैं। वह कभी गोद में लेकर अपनी ड्यूटी करती हैं तो कभी बेरिकेट्स से अपनी पुरानी साड़ी का झूला बनाकर उसे सुला देती हैं।
वडोदरा (गुजरात). कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने हाहाकार मचाकर रखा है। कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए एक तरफ डॉक्टर-नर्स अपना परिवार छोड़कर दिन-रात मरीजों को बचाने में जुटे हुए हैं। वहीं पुलिसकर्मी भी अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की रक्षा करने में लगे हुए हैं। ऐसी ही एक कर्तव्य और फर्ज की तस्वीर गुजरात के वडोदरा से सामने आई है। जहां ट्रैफिक विभाग की महिला कर्मचारी एक साथ दोहरी भूमिका निभा रही है। वह बीच सड़क पर ड्यूटी के साथ अपने बच्चे को भी संभाल रही है। जो कोई इस महिला को देखता है उसे सैल्यूट करने से पीछे नहीं हटता।
तपती दुपहरी में मासूम को सुला देती मां
दरअसल, दिल को सलाम करने वाली यह कहानी ट्रैफिक ब्रिगेड की कर्मचारी दिव्या नटवरभाई वाल्मीकी हैं, जो कि अपने डेढ़ साल की बच्ची जास्मीन को लेकर ड्यूटी करने के लिए आती हैं। वह कभी गोद में लेकर अपनी ड्यूटी करती हैं तो कभी बेरिकेट्स से अपनी पुरानी साड़ी का झूला बनाकर उसे सुला देती हैं। तपती दुपहरी में मां अपनी मासूम बेटी को यूं सुलाने के लिए मजबूर है। लेकिन वह कहती है कि क्या करें इस वक्त ड्यूटी से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं।
मां के साथ पुलिस का फर्ज निभाती
दिव्या नटवरभाई ने बताया कि उसके पति भी इस वक्त अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। घर में बच्ची को संभालने वाला कोई नहीं है। इसलिए वह उसे अपने साथ लेकर आ जाती है। यहां कम से कम वो मेरी आंखों के सामने तो रहेगी। हां मुझे भी कोरोना का डर लगता है, लेकिन हम ही घर बैठ जाएंगे तो फिर शहर के लोगों का कौन ख्याल रखेगा।