सार

इस हादसे में स्वास्थ्य मंत्री सुरक्षित बताए जा रहे हैं। उन्हें मामूली चोट आई हैं। हादसे के वक्त वो पौड़ी के थैलीसैंण से देहरादून लौट रहे थे। उनके साथ उनका स्टाफ भी था। घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्हें तुरंत पाबो अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
 

देहरादून : उत्तराखंड (Uttarakhand) के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत (Dhan Singh Rawat) की कार हादसे का शिकार हो गया है। इस हादसे में स्वास्थ्य मंत्री सुरक्षित बताए जा रहे हैं। उन्हें मामूली चोट आई हैं। हादसे के वक्त वो पौड़ी के थैलीसैंण से देहरादून (Dehradun) लौट रहे थे। उनके साथ उनका स्टाफ भी था। घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्हें तुरंत पाबो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस हादसे की खबर लगते ही कई नेता उनका हालचाल जानने वहां पहुंच गए।

थैलीसैंण से लौट रहे थे स्वास्थ्य मंत्री
बता दें कि मंगलवार दिन में स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण में अल्ट्रासाउंड मशीन का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों और गर्भवती महिलाओं को 100 किलोमीटर दूर श्रीनगर, पौड़ी या सतपुली के चक्कर काटने पड़ते थे लेकिन अब यहां अल्ट्रासाउंड मशीन होने से लोगों को दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ेंगी। इसके बाद डॉ. रावत ने राजकीय महाविद्यालय थलीसैंण में 4जी इंटरनेट सेवा व वेबसाइट का शुभारंभ किया। उन्होंने महाविद्यालय के विज्ञान भवन का शिलान्यास भी किया। भवन का निर्माण 428.45 लाख की लागत से किया जाएगा।
 
कभी सीएम के तौर पर चर्चाओं में थे धन सिंह रावत
धन सिंह रावत का नाम एक वक्त सीएम के तौर पर भी चर्चाओं में था। हालांकि राज्य में अगले साल होन वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) का सीएम फेस कौन होगा, ये अभी साफ होना है। धन सिंह रावत अपने काम करने के अंदाज के लिए जाने जाते हैं। साल 1989 में ही धन सिंह रावत ने स्वयंसेवक के रूप में RSS ज्वॉइन की थी। अपनी जवानी के दिनों में धन सिंह ने छुआछूत व्यवस्था, बाल विवाह और शराब के खिलाफ अभियान चलाया था। राम जन्मभूमि मूवमेंट के दौरान भी धन सिंह ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। इसके लिए उन्हें जेल भी हुई थी। उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्हें दो बार जेल भी हुई थी। धन सिंह रावत ने अलग उत्तराखंड राज्य के लिए 59 दिनों की पदयात्रा भी की थी। नक्सलवाद के खिलाफ भी धन सिंह ने धारचूला से टनकपुर तक के लिए 39 दिन की यात्रा निकाली थी।


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