सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार को केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) दौरे पर हैं। उन्होंने यहां आदि गुरु शंकराचार्य (Adi Guru Shankaracharya) की प्रतिमा का अनावरण किया और समाधि स्थल का भी लोकार्पण किया। इस मूर्ति को तैयार करने का काम साल 2020 के सितंबर माह में शुरू हो गया था। करीब 9 कारीगरों ने लगातार एक साल मेहनत कर आदि गुरु शंकराचार्य का यह रूप तैयार किया। 

देहरादून। उत्तराखंड (Uttrakhand) के केदारनाथ (Kedarnath) में स्थित आदि गुरु शंकराचार्य (Adi Guru Shankaracharya) की 12 फीट ऊंची प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को अनावरण कर दिया। ये प्रतिमा सितंबर में चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से उत्तराखंड लाई गई थी। 9 मूर्तिकारों की टीम ने इस प्रतिमा के लिए एक खास शिला चुनी। खास बात ये भी है कि 130 वजनी शिला को तराशने के बाद इसका वजन 35 टन हो गया है। 

दरअसल, उत्तराखंड में साल 2013 में आई बाढ़ में आदि गुरु शंकारचार्य की समाधि बह गई थी। यही वजह है कि केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के पुनर्निर्माण कार्यों के तहत नई प्रतिमा को विशेष डिजाइन के साथ तैयार किया गया है। इसे केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे और समाधि क्षेत्र के बीच में जमीन खोदकर बनाया गया है। इस प्रतिमा को मैसूर (Mysorre) के मूर्तिकारों ने क्लोराइट शिस्ट से बनाया है। क्लोराइट शिस्ट (Chlorite schist) एक ऐसी चट्टान है, जो बारिश, धूप और कठोर जलवायु का सामना करने के लिए जानी जाती है। इस प्रतिमा (Adi Guru Shankaracharya Statue) का वजन 35 टन है।

नारियल के पानी से पॉलिश कर चमक लाई गई
पर्यटन विभाग ने बताया कि मूर्ति में चमक लाने के लिए नारियल पानी से पॉलिश की गई है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग के सचिव दिलीप जावलकर (Dilip Jawalkar) ने कहा कि इससे ना सिर्फ इस महान संत की शिक्षाओं में भक्तों का विश्वास प्रकट होगा, बल्कि राज्य में और अधिक संख्या में पर्यटकों के आने में मदद मिलेगी।  मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने अपने बेटे अरुण की मदद से नई प्रतिमा का काम पूरा किया है। योगीराज शिल्पी के पास मूर्ति बनाने की पांच पीढ़ियों की विरासत है। योगीराज को प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) ने खुद मूर्ति बनाने का ठेका दिया था। उन्होंने सितंबर 2020 में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था।

शंकराचार्य की प्रतिमा से जुड़े कई अहम तथ्य हैं, जो इस आयोजन को और खास बना रहे हैं। इसे विस्तार से समझते हैं।

  • खबर है कि आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा तैयार करने के लिए कई मूर्तिकारों ने कोशिश की। आंकड़े बताते हैं कि प्रतिमा के करीब 18 मॉडल तैयार किए गए थे, लेकिन पीएम की सहमति के बाद एक मॉडल का चयन किया गया।
  • मैसूर के कलाकार अरुण योगीराज के हाथों तैयार हुई इसी प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी ने किया। खास बात यह है कि यह प्रतिमा केवल एक ही शिला से तैयार की गई है।
  • इस मूर्ति को तैयार करने का काम साल 2020 के सितंबर माह में शुरू हो गया था। करीब 9 कारीगरों ने लगातार मेहनत कर आदि गुरु शंकराचार्य का यह रूप तैयार किया।
  • सितंबर में प्रतिमा को चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से उत्तराखंड लाया गया था। कलाकारों की टीम ने इस प्रतिमा के लिए एक खास शिला चुनी।
  • खास बात है कि 130 वजनी शिला को तराशने के बाद इसका वजन 35 टन हो गया।
  • मूर्तिकारों ने आदि गुरु शंकराचार्य के ‘तेज’ को दिखाने के लिए प्रतिमा पर नारियल के पानी का भी इस्तेमाल किया है। इसकी मदद से मूर्ति की सतह पर चमक बनी रहेगी
  • प्रतिमा की ऊंचाई करीब 12 फीट होगी। यह देखने में भव्य और चमकदार प्रतीत हो रही है।
  • प्रतिमा को क्लोराइट शिस्ट से तैयार किया गया। ये एक ऐसी चट्टान है, जो बारिश, धूप और कठोर जलवायु का सामना करने के लिए जानी जाती है। 
  • प्रधानमंत्री कार्यालय ने खुद मूर्ति बनाने का ठेका दिया था।
  • सितंबर 2020 में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया गया था। एक साल के अंदर ये प्रतिमा बनकर तैयार हो गई।

कौन हैं आदि शंकराचार्य? 
केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य 8वीं शताब्दी के भारतीय आध्यात्मिक नेता और दार्शनिक थे। उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को समेकित किया और पूरे भारत में चार मठ (मठवासी संस्थान) स्थापित करके हिंदू धर्म को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उत्तराखंड के हिमालय आदि शंकराचार्य के संदर्भ में बहुत महत्व रखते हैं क्योंकि कहा जाता है कि उन्होंने केदारनाथ में यहां समाधि ली थी। उत्तराखंड में ही उन्होंने चमोली जिले (Chamoli) के ज्योतिर मठ (Jyotir Math) में चार मठों में से एक की स्थापना की और बद्रीनाथ (Badrinath) में एक मूर्ति भी स्थापित की।

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