सार

इससे पहले आशु बांगड़ का आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी विरोध जताया था। उन्होंने फिरोजपुर देहाती विधानसभा हलके में आशु के पोस्टर फाड़े थे और उनकी तस्वीर पर कालिख पोत कर गुस्सा जाहिर किया था। कांग्रेसी भी आशु का विरोध कर रहे हैं।

चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव के बीच नेताओं के दल-बदल का रिएक्शन भी देखने को मिलने लगा है। दो दिन पहले आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले आशु बांगड़ का विरोध शुरू हो गया है। आशु बांगड़ को आप ने फिरोजपुर देहाती से उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन, उन्होंने टिकट ठुकरा दिया और आम आदमी पार्टी भी छोड़ दी। बाद में आशु कांग्रेस में शामिल हो गए। यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन, जैसे ही आशु बांगड़ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया।

जानकारी के मुताबिक, आशु बांगड़ा चुनाव कैंपेन के लिए निकले थे। यहां कांग्रेस वर्करों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि बांगड़ के कांग्रेस में आने से सिटिंग विधायक सतकार कौर गहरी के टिकट पर संकट आ गया है। संभावना है कि पार्टी सतकार कौर का टिकट काटकर दल-बदलकर आने वाले आशु बांगड़ को मैदान में उतार दे, इसलिए सिटिंग विधायक के समर्थक विरोध में आ गए हैं।

आप और कांग्रेसी कर रहे हैं विरोध
इससे पहले आशु बांगड़ का आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी विरोध जताया था। उन्होंने फिरोजपुर देहाती विधानसभा हलके में आशु के पोस्टर फाड़े थे और उनकी तस्वीर पर कालिख पोत कर गुस्सा जाहिर किया था। कांग्रेसी भी आशु का विरोध कर रहे हैं। इधर, जब हलके के कांग्रेसियों को पता चला कि कांग्रेस हाइकमान यहां से आशु को कांग्रेस टिकट से चुनाव मैदान में उतारने जा रहा है तो कांग्रेसियों में भी विरोध शुरू हो गया। यहां से विधायक सतकार कौर गहरी टिकट मांग रही थी, लेकिन उनकी खराब रिपोर्ट हाइकमान के पास पहुंची है। गुरुहरसहाए विधानसभा हलके से कांग्रेसी विधायक रमिंदर आवला चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें वहां से टिकट नहीं देना चाहती है। आवला जलालाबाद से कांग्रेसी विधायक हैं। 

बाहरी बताकर किया जा रहा है विरोध
फिलहाल, आशु बांगड़ को कांग्रेस जॉइन कर पार्टी के रणनीति जिले में जो मजबूती तलाश रहे थे, अब उसे झटका लगता नजर आ रहा है। क्योंकि यहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मोर्चा खोलने वालों में कांग्रेस की सिटिंग विधायक सतकार कौर के समर्थक हैं। यहां आशु को बाहरी बताकर विरोध किया जा रहा है। आशु बागड़ 56 किलोमीटर दूर मोगा के रहने वाले हैं। लेकिन, वह कई सालों से फिरोजपुर देहात में काम कर रहे हैं। उनकी ग्रामीण इलाकों में मजबूत पकड़ है। 

भाजपा यहां मजबूत होना चाहती है
फिरोजपुर जिले में कांग्रेस मजबूत होना चाहती है, इसी रणनीति के तहत आंशु बांगड़ को पार्टी में लाया गया। क्योंकि यहां की गुरसहाय सीट से कांग्रेस के तीन बार के विधायक रहे राणा गुरमीत सोढ़ी ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है। राणा गुरमीत सोढ़ी के बुलावे पर ही पीएम नरेंद्र मोदी यहां सभा करने आए थे। क्योंकि फिरोजपुर बॉर्डर का इलाका है, इसलिए यहां विकास की काफी जरूरत है। राणा गुरमीत सोढ़ी की कोशिश थी कि पीएम की रैली करा कर यहां से विकास की घोषणा कराई लाए। लेकिन, फिरोजपुर देहात की कांग्रेस विधायक सत्कार गौर गैरी के गांव प्यारे आना के पास पीएम का काफिला किसानों ने रोक लिया था। इसके बार पीएम वापस चले गए थे। इससे पंजाब में कांग्रेस की काफी आलोचना हुई। 

समझें फिरोजपुर देहात का चुनावी देहात...
बताया जा रहा है कि फिरोजपुर देहात से मौजूदा कांग्रेस विधायक सत्कार कौर गैरी लगातार मतदाता के बीच अपनी पकड़ खोती जा रही है। वह और उनके पति कई तरह के विवादों में भी आए। इस वजह से कांग्रेस उनका विकल्प तलाश रही है। इस तथ्य को जानते हुए सत्कार कौर लगातार आशु बांगड़ का विरोध कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में  सत्कार कौर गैरी ने  अकाली दल के उम्मीदवार जोगेंद्र सिंह को  20  हजार वोट से हराया था। आशु के बागी होने के बाद आम आदमी पार्टी ने यहां से एडवोकेट  रजनीश दहिया को टिकट दिया है। लेकिन वह आशु जितने लोकप्रिय नहीं है। कांग्रेस को लगता है कि सत्कार कौर गैरी का टिकट यहां से काट कर आशु बांगड़ को आगे किया जाए। लेकिन अब जिस तरह से बांगड़ का विरोध हो रहा है,इससे एक बार फिर से कांग्रेस की मुसीबत बढ़ती हुई नजर आ रही है। देखना होगा कि कैसे कांग्रेस अपनी इस दिक्कत पर काबू पाती है।

आप के प्रत्याशी रजनीश दहिया घोषित
आम आदमी पार्टी ने फिरोजपुर देहाती हलके से वकील रजनीश दहिया को प्रत्याशी घोषित किया है। यहां से पहले आप के प्रत्याशी आशु बांगड़ थे, जिन्होंने सोमवार को आप पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। दहिया भी इस हलके से टिकट की दावेदारी जता रहे थे। जब पार्टी ने बाहरी प्रत्याशी को यहां से उतारा था, तब दहिया और अन्य वालंटियर पार्टी से नाराज चल रहे थे।

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