सार

बोर्ड के इस कारनामे के बाद पैरेंट्स काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि शिक्षा बोर्ड और सरकार को या तो पूरे पैसे वापस करने चाहिए या फिर उसको फीस में एडजेस्ट करना चाहिए ताकि राहत मिल सके।

चंडीगढ़ : पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) का एक ऐसा कारनाम सामने आया है कि अब उस पर विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद जुड़ा है स्टूडेंट्स से वसूली का। पूरा मामला 2020-21 के दौरान का है। तब कोरोना के चलते बोर्ड ने एग्जाम नहीं लिए खे लेकिन बच्चों के माता-पिता से एग्जाम की पूरी फीस ले ली गई थी। एक RTI के जरिए हुए इस खुलासे के बाद सरकार के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। राज्य के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) से अब पैसे वापस करने या फिर एडजेस्ट करने की मांग होने लगी है।

90.54 करोड़ की वसूली
पटियाला के रहने वाले हरिंदर सिंह की तरफ से मांगी गई जानकारी में जो जवाब मिला उसके अनुसार बोर्ड की तरफ से उस वक्त 10वीं के एग्जाम के लिए 38 करोड़ 75 लाख 44 हजार 807 रुपए जबकि 12वीं की परीक्षा के बदले 55 करोड़ 81 लाख 26 हजार 341 रुपए फीस ली थी। यानी पैरेंट्स से 90.54 करोड़ की वसूली की गई थी। इतना ही नहीं, उसी परीक्षा की मार्कशीट के लिए छात्रों से 800 रुपए भी मांगे जा रहे हैं।

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पैरेंट्स की मांग

इस खुलासे के बाद पैरेंट्स और डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रं की तरफ से पैसों को वापस मांगा गया है। उनका कहना है कि जिन छात्रों से ये पैसे लिए गए हैं, उनमें से ज्यादातर गरीब घर से आते हैं। बोर्ड को उनकी फीस तो वापस करनी ही चाहिए साथ ही उनकी मार्कशीट भी बिना पैसों के दिया जाना चाहिए। या फिर उस फीस को इस साल के फीस से एडजेस्ट किया जाना चाहिए।

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बोर्ड का क्या है जवाब

वहीं पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. योगराज शर्मा का कहना है कि उनकी तरफ से कोई वसूली नहीं की गई है। पहले ये परीक्षाएं होनी थी, पूरी तैयारियां भी कर ली गई थी लेकिन बाद में कोरोना के केस बढ़ने लगे और परीक्षाएं नहीं हो सकी। कोई भी छात्र अगर अपनी मार्कशीट लेना चाहे तो वह सॉफ्ट कॉपी डाउनलोड कर सकता है। अगले सेशन में इसके लिए सिर्फ 100 रुपए ही लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि बोर्ड ने इसको लेकर किसी तरह की वसूली की।

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