सार

दीवाली आज पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मना रहा है। देशभर के लोग धन-संपदा के लिए दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इसी बीच राजस्थान में उदयपुर जिले के महालक्ष्मी मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है।  यह मंदिर राजस्थान के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। जो करीब 450 साल पुराना है। यहां मां लक्ष्मी हाथी पर विराजमान है।

उदयपुर. हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दीवाली आज पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मना रहा है। देश के अलग-अलग कोनों में बने मां लक्ष्मी के मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो चुका है। जो देर रात तक चलेगा। राजस्थान में उदयपुर जिले के महालक्ष्मी मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है।  यह मंदिर राजस्थान के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। जो करीब 450 साल पुराना है। यहां मां लक्ष्मी हाथी पर विराजमान है। जबकि आमतौर पर मां लक्ष्मी कमल पर विराजमान होती है।

एक ऐसा मंदिर जहां महालक्ष्मी हाथी पर हैं विराजमान 
मंदिर की देखरेख करने वाले कन्हैया लाल त्रिवेदी ने बताया कि देश भर में जिस जिस जगह लक्ष्मी मंदिर है वहां श्रीमाली समाज ही सेवा पूजा करता है क्योंकि यह श्री माली समाज की कुलदेवी है। कन्हैया लाल ने कहा कि देश भर में सभी लक्ष्मी मंदिरों में मां लक्ष्मी कमल के फूल पर विराजमान रहती है। लेकिन केवल उदयपुर का यह है महालक्ष्मी मंदिर ही एक ऐसा मंदिर है जहां महालक्ष्मी हाथी पर विराजमान है। मंदिर के पास ही जगदीश भगवान का मंदिर भी बना हुआ है। दिवाली के दिन दोनों ही मंदिरों में विशेष अर्चना पूजा भी की जाती है।

महाराणा जगतसिंह कराया था इस मंदिर का निर्माण
त्रिवेदी ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण महाराणा जगतसिंह ने करवाया था। क्योंकि रानी ने कहा था कि जब भगवान जगदीश का मंदिर है तो फिर लक्ष्मी का क्यों नहीं। तो रानी के कहने पर ही राजा ने इस महालक्ष्मी मंदिर को बनवाया जिसमें करीब 31 इसकी मां लक्ष्मी की मूर्ति है। इतना ही नहीं यह मंदिर पूरा उदयपुर संभाग में मां लक्ष्मी का इकलौता मंदिर है।  आज यहां पूरे दिन भक्तों की भारी भीड़ रहेगी। इस दौरान करीब 100 से ज्यादा स्वयंसेवक यहां व्यवस्था संभालने में लगे हुए हैं।