सार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीकानेर के खाजूवाला क्षेत्र में बीते शनिवार सुबह 8.27 बजे में हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि इन झटकों का अहसास बीकानेर शहर में नहीं हुआ था। भूकंप का केंद्र 28.95N तथा 73.52E (बीकानेर से करीब 103 किमी) उत्तर रहा था, जिसकी रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई थी।
 

बीकानेर (Rajasthan) । भूकंप का झटका शुक्रवार को महसूस किया गया। एनसीएस के अनुसार, भूकंप सुबह 08:01 बजे आया। जिसकी तीव्रता 4.3 थी, जो राजस्थान के बीकानेर से 420 किमी उत्तर-पश्चिम में आया था। हालांकि, इस भूकंप के कारण किसी हानि की जानकारी नहीं मिली है। बताते चले कि इससे पहले भी पिछले कुछ महीनों में राजस्थान में भूकंप के झटके महसूस किए हैं। 

एक  सप्ताह पहले भी महसूस किया गया था भूकंप का झटका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीकानेर के खाजूवाला क्षेत्र में बीते शनिवार सुबह 8.27 बजे में हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि इन झटकों का अहसास बीकानेर शहर में नहीं हुआ था। भूकंप का केंद्र 28.95N तथा 73.52E (बीकानेर से करीब 103 किमी) उत्तर रहा था, जिसकी रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई थी।

जोधपुर में महसूस किए गए थे झटकें
17 नवंबर को जोधपुर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, तब रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.0 रही थी। भूकंप का केंद्र जोधपुर से 108  किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम में था। बताते हैं कि भूकंप भारतीय समयानुसार 6:57 AM बजे सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में आया था।

जानिए क्यों आता है भूकंप
जानकार बताते हैं कि धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।

भूकंप की गहराई से क्या मतलब है
मतलब साफ है कि हलचल कितनी गहराई पर हुई है। भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी सतह पर उसकी तीव्रता उतनी ही कम महसूस होगी।

क्यों टकराती हैं प्लेटें
ये प्लेंटे बेहद धीरे-धीरे घूमती रहती हैं। इस प्रकार ये हर साल 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती हैं। कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं।

ऐसे करें बचाव
-मकान ध्वस्त हो जाने के बाद उसमें न जाएं।
-कार के भीतर हैं तो उसी में रहें, बाहर न निकलें।
-आपदा की किट बनाएं जिसमें रेडियो, जरूरी कागज, मोबाइल,टार्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, कुछ रुपये व जरूरी दवाएं रखें।
-संतुलन बनाए रखने के लिए फर्नीचर को कस पकड़ लें। लिफ्ट का प्रयोग कतई न करें।
-सुरक्षित स्थान पर भूकंपरोधी भवन का निर्माण कराएं।
-समय-समय पर आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण लें व पूर्वाभ्यास करें।
-खुले स्थान पर पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें।