सार

जयपुर के ग्रेटर नगर निगम ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर ने मेयर कुर्सी संभाली। दिलचस्प बात है कि जब मेयर  को पद से हटाया गया था तो उनके केबिन के बाहर लगी नेम प्लेट को भी उखाड़ कर फेंक दिया था। लेकिन समय इतना बलवान हुआ कि अब उससे बड़ी नेम प्लेट उसी जगह पर लग गई।

जयपुर. कुछ सप्ताह पहले राजधानी जयपुर के ग्रेटर क्षेत्र की महापौर रही डॉ सौम्या गुर्जर के केबिन के बाहर से उनकी नेम प्लेट को उखाड़ कर फेंक दिया गया था।  उसके टुकड़े-टुकड़े कर डस्टबिन में डलवा दिया गया था।  लेकिन कुछ हफ्तों बाद ही ऐसे दिन फिरे कि अब उस नेमप्लेट से कहीं ज्यादा बड़ी और कहीं ज्यादा आकर्षक दूसरी नेम प्लेट मेयर के कमरे के बाहर लगाई गई है।  जिस मेयर की नेम प्लेट फेंकी गई थी उस को वापस चुन लिया गया है।  उस मेयर ने कामकाज पूरी तरह से संभाल लिया है।

10 नवंबर को चुनाव-परिणाम से पहले आया कोर्ट का फैसला
 दरअसल, नगर निगम ग्रेटर की पूर्व महापौर डॉ सौम्या गुर्जर को सरकार ने बर्खास्त कर दिया था।  उसके बाद वे कोर्ट चली गई थी, कोर्ट में तारीखें जारी थी। इस बीच सरकार ने 10 नवंबर को महापौर के लिए चुनाव करवाएं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने महिला उम्मीदवार उतारी और इन महिला उम्मीदवार को 146 पार्षदों ने वोट दिए । शाम के समय वोटों की गिनती जारी थी और कुछ ही समय में नई महापौर का नाम सामने आने वाला था कि इसी दौरान बड़ा धमाका हुआ।  कोर्ट ने राज्य सरकार की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए पूर्व मेयर डॉ सौम्या गुर्जर को फिर से स्थापित कर दिया और इलेक्शन कराने वाली टीम को निर्देश दिए कि सारे मत पेटियों को सील कर दिया जाए। 

 फेंकी गई नेमप्लेट का समय फिर से लौटने वाला 
सौम्या गुर्जर को हटाने के बाद उनके कमरे के बाहर लगी उनकी नेम प्लेट को भी कचरे में फेंक दिया गया था, अब फिर से नई नेम प्लेट बनवाई गई है। किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि फेंकी गई नेमप्लेट का समय फिर से लौटने वाला है। उधर महापौर की कुर्सी फिर से संभालने के बाद सौम्या गुर्जर डबल पावर में है। वो धड़ाधड़ फैसले ले रही हैं और लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों और अफसरों को भी आड़े हाथों ले रही है । शहर की सफाई सबसे बड़ा मुद्दा उनके सामने हैं और इसे इस बार पूरी तरह से बदलने की वे तैयारी कर रही है । फिलहाल सरकार ने सौम्या गुर्जर के खिलाफ और कोई कदम उठाने की अभी तैयारी नहीं की है।

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