सार
दशहरा के दिन मिलिए भगवान राम के वंशजों से जहां कि सबसे छोटी राजकुमारी है बेहद सुंदर, विदेश में पढ़ी हुई लेकिन संस्कार पूरे भारतीय। वहीं सांसद मां पूरे परिवार के साथ ही लाखों लोगों का ख्याल रखती है, उनके इस केयर के कारण ही आज भी रानी साहब बोलते हैं लोग।
जयपुर (jaipur). बुधवार 5 अक्टूंबर के दिन यानि आज फिर से बुराई हार जाएगी और अच्छाई जीत जाएगी। रावण का आज शाम को दहन होगा। देश भर के लाखों रावणों को आज अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन क्या आपको पता है कि रावण को अंजाम तक पहुंचाने वाले प्रभु श्रीराम (lord Ram) के वंशज( descendants) कौन हैं। उनके वंशज अब कहां रहते हैं... वे क्या काम कर रहे हैं और....परिवार में अब कौन लोग बचे हैं। इन सभी सवालों के जवाब आपको इस विशेष खबर में मिलेंगे। जो हम बताने जा रहे हैं यह सब इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है।
जयपुर में रहते हैं प्रभु श्रीराम के वंशज...
जी हां प्रभु श्रीराम के बेटे कुश के वंशज की बात हम कर रहे हैं। उनके वंशज जयपुर में रह रहे हैं और वे जयपुर के महाराज हुआ करते थे। हांलाकि जनतंत्र आने पर अब राजतंत्र का उसमें ही विलय हो गया । लेकिन इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है कि अयोध्या के राजा श्रीराम के बेटे कुश की 307वीं पीढी से जयपुर के राजा महाराज भवानी सिंह थे। अब उनकी बेटी और परिवार 308 वीं पीढी हैं।
परिवार की सबसे छोटी राजकुमारी विदेश में पढ़ी लिखी, मां हैं सांसद
कुशवाहा वंश के राजा रहे श्रीराम के वंशज अब जयपुर में राजपरिवार की बेटी सांसद दीया कुमारी हैं। जयपुर के बीचाों बीच सिटी पैलेस में रहने वाली दीया कुमारी की अगली पीढ़ी उनके बेटे -बेटी हैं जो युवराज और राजकुमारी है। सवाई माधोपुर जिले से भाजपा के टिकिट पर सांसद चुनी गई दीया कुमारी परिवार के साथ ही जिले की लाखों जनता का भी ख्याल रखती हैं। इन तमाम बातों से जुड़े दस्तावेज सिटी पैलेस के पोथी खाने में रखे हुए हैं।
यह सब अंकित हैं सालों पुरानी पोथियों में
दरअसल इन पोथियों में वंशवार दस्तावेज रखे गए हैं। इनमें लिखा हुआ है कि जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह भगवान राम के बड़े बेटे कुश के 289वें वंशज थे। उसमें रखे नौ नक्शों और दो अन्य दस्तावेजों में लिखा गया है कि अयोध्या के जयसिंहपुरा व राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधीन ही थे। 1776 के एक हुक्म में लिखा था कि जयसिंहपुरा की भूमि कच्छवाहा के अधिकार में हैं। कुशवाहा वंश के 63वें वंशज थे श्रीराम और अब सांसद दीया कुमारी है 308वीं पीढ़ी हैं।
गली मौहल्लों में सभी जगह पर राम ही राम
जयपुर की बसावट राम नाम के आधार पर ही की गई है। पुराने शहर की बहुत सी जगहों को अभी भी राम के नाम से ही जाना जाता है। इनका नामकरण राज दरबार ने खुद किया था जयपुर की बसावट के समय। बसावट के पहले जौहरी बाजार में रामलला जी का मंदिर बनवाया गया। इसका नाम रामलला जी का रास्ता रखा गया। वहीं सिटी पैलेस में सीतारामद्वारा में पहुंचकर जयपुर के महाराजा सबसे पहले दर्शन करते थे। युद्ध और राजा की सवारी में सीताराम जी का रथ सबसे आगे होता था। जयपुर को 9 चौकड़ी में बसाया गया। इसमें एक चौकड़ी का नाम रामचंद्र जी की चौकड़ी रखा गया। चांदपोल बाजार और हवामहल बाजार में भव्य राममंदिर बनाए गए। इसी तरह, सवाई जयसिंह ने भगवान राम के समान जयपुर में स्थापना के वक्त राजसूर्य, अध्वमेध यज्ञ भी करवाए।