सार

राजस्थान में रविवार से जारी सियासी घटनाक्रम का शुक्रवार के दिन अंत हो चुका है। आलाकमान के एडवायजरी नोटिस देने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले एक साल के लिए अब राजनीति में कोई हलचल देखने को नहीं मिलेगी। पर इस पूरे घटनाक्रम में सचिन पायलट के हाथ फिर से खाली रह गए।

जयपुर. राजस्थान में बीते 4 दिनों से चल रहे सियासी घटनाक्रम का अब अंत हो चुका है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए पहले जहां सीएम अशोक गहलोत का नाम सामने आ रहा था। वहीं अब उन्होंने मलिकार्जुन खड़गे को अपना समर्थन दिया है। सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि वह खड़गे के प्रस्तावक के तौर पर काम करेंगे। ऐसे में कहा जा सकता है कि राजस्थान में सरकार का शासन समाप्त होने तक सीएम अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे। 

विधायकों ने सौपा माफीनामा
गौरतलब है कि इससे पहले गुरुवार को सीएम अशोक गहलोत ने पार्टी आलाकमान से दोपहर में बात की और अपने विधायकों द्वारा जयपुर में किए गए सियासी तमाशे को लेकर सोनिया गांधी को माफीनामा भी सौंपा। जिसके बाद देर रात सचिन पायलट भी आलाकमान से बात करने के लिए पहुंचे थे। ऐसे में आलाकमान ने ही शुक्रवार सुबह इस पर निर्णय कर लिया। और गहलोत को मलिकार्जुन खड़गे के साथ कर दिया है। जिसके बाद अब राजस्थान में भी विधायकों ने सचिन पायलट के में का विरोध करना बंद कर दिया है। 

प्रदेश की राजनीति में लगा विराम
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो निश्चित हो गई है कि अब प्रदेश की राजनीति में आने वाले 1 साल में कोई भी हलचल नहीं होनी है। क्योंकि आलाकमान ने सचिन पायलट को एक बार फिर खाली हाथ भेजा है। सूत्रों की माने तो आलाकमान ने अगले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया है। जिसके बाद इस मामले का हल निकल पाया है। गहलोत के मलिकार्जुन खड़गे को समर्थन देने के बाद सचिन पायलट का एक भी बयान सामने नहीं आया है। हालांकि यह जरुर हो सकता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद एक बार सचिन पायलट के में को कुछ करने के लिए उनके विधायकों में से 1 - 2 लोगों को मंत्री पद दे दिया जा सके।

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