सार

एक शादी ऐसी भी जिसमें माता-पिता की बारात जोधपुर के महिला पुलिस थाने में से निकली और पुलिसवालों ने जयमाला कराई, उनके बच्चों ने अपने मम्मी पापा की मैरिज में जमकर ठुमके मारे। थाने में बजा बैंड.- बाजा और थाने में ही हुई शादी..
 

जोधपुर (jodhpur). अक्सर ऐसा नजारा सिर्फ फिल्मों में देखने को मिलता है जिसमें माता पिता की शादी और बच्चे नाच रहे हैं, और थाने वाले न सिर्फ तालियां बजा रहे हो बल्कि थाने में गाने चल रहे हैं....। सुनकर लग रहा होगा मानो राजस्थान में कोई फिल्म में शूटिंग चल रही हो....। लेकिन यह शूटिंग नही है सच्चाई है जो जोधपुर जिले के महिला पुलिस थाने में हुई है। माता पिता की फिर से शादी हुई और उसमें बच्चों ने जमकर ठुमके लगाए...। ऐसी शादी हुई कि इसकी चर्चा लोगों की जुबान पर चढ़ गई। पूरे शहर में तो चर्चा हो ही रही है आसपास के गावों में भी पुलिसवालों की तारीफ हो रही है। जोधपुर शहर के महिला पुलिस थाने में यह बैंड बाजा और बारात निकली है। 

अलग होने के लिए चार परिवारों ने एक दूसरे पर किया केस

दरअसल जोधपुर जिले में स्थित अरटिया खुर्द के रहने वाले जीवन राम की बेटी उषा का विवाह देवातडा के गिरधारी राम के साथ हुआ था। इसी तरह दूल्हे की बहन धारू का विवाह दुल्हन के भाई विशनाराम से 2015 में हुआ था। कुछ समय बाद पारिवारिक झगड़ा होने से दोनों परिवारों के बीच दूरियां आ गई। करीब एक साल पहले ऊषा और धारू अपने अपने पिता के घर चली गई। दोनो तरफ से दहेज प्रताड़ना के मामले दर्ज हो गए।

पुलिस ने दोनो पक्षों को कई बार समझाया, तब बात बनी

दईजर थाने में दोनो पक्षों के बीच लगातार समझाइश की गई। काउंसलिंग भी करवाई गई लेकिन बात नहीं बनी। उसके बाद महिला थानाधिकारी को यह जांच दी गई। SHO  रेणु ठाकुर ने फिर प्रयास शुरू किए और काउंसलर के माध्यम से सिर्फ पति, पत्नी की काउंसलिंग शुरू की तो बातों बातों में दोनों को अपने बच्चों की चिंता सताने का डर नजर आया। 

काउंसलिंग के बाद परिवार के बीस बीस लोगों को बुलाया और थाने में निकाल दी बारात

एसएचओ रेणु ने बताया कि परिवार जोडना ज्यादा मुश्किल था। दोनो चारों परिवारों के लोगों को बुलाया। पहले सभी की काउसंलिंग की और उसके बाद उनको समझ में आया कि बच्चों के लिए ही सही परिवार साथ रहना जरुरी है। उसके बाद तो जैसे नया जीवन मिला हो। कुछ देर के बाद ही हमारे थाने में दो दूल्हे और दुल्हन थी। उनकी शादी में नाचने के लिए उनके ही बच्चे और उनके ही परिवार वाले थे। दोनो दम्पत्त्यिों ने एक दूसरे को माला पहनाई और पुर्नविवाह किया। थाने का स्टाफ भी खुश था और विवाह में शामिल हुआ।