सार
छोटे बच्चों को अकेला छोड़ना कितना खतरनाक साबित होता है, यह हादसा इसी का उदाहरण है। 7 साल की बहन और 4 साल का भाई घर में अकेले थे। उनकी बड़ी बहन को बुखार था। मां-बाप उसे दिखाने अस्पताल गए थे। मासूम छुप्पन-छुपाई खेलते हुए संदूक में जाकर छुप गए। इस बीच संदूक का ढक्कन बंद हो गया। इससे बच्चे बाहर नहीं निकल पाए। जब परिजन अस्पताल से घर पहुंचे, तब हादसे का पता चला। घटना में लड़के की मौत हो गई, जबकि लड़की का इलाज चल रहा है। घटना नागौर की है।
नागौर, राजस्थान. यहां के श्रीबालाजी थाना इलाके में गुरुवार को खेल के दौरान एक मासूम की संदूक में छुपने से मौत हो गई। उसका दम घुट गया था। वहीं, उसकी बहन मरते-मरते बची। छोटे बच्चों को अकेला छोड़ना कितना खतरनाक साबित होता है, यह हादसा इसी का उदाहरण है। 7 साल की बहन और 4 साल का भाई घर में अकेले थे। उनकी बड़ी बहन को बुखार था। मां-बाप उसे दिखाने अस्पताल गए थे। मासूम छुप्पन-छुपाई खेलते हुए संदूक में जाकर छुप गए। इस बीच संदूक का ढक्कन बंद हो गया। इससे बच्चे बाहर नहीं निकल पाए। जब परिजन अस्पताल से घर पहुंचे, तब हादसे का पता चला। घटना में लड़के की मौत हो गई, जबकि लड़की का इलाज चल रहा है। घटना गुरुवार को नागौर में हुई। बच्ची का जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे थे परिजन..
पुलिस के अनुसार, अलाय निवासी बच्चों के दादा धन्नाराम पुत्र खोमाराम ने बताया कि उसकी 13 साल की पोती लीला को कई दिनों से बुखार आ रहा था। उसे दिखाने पिता ओमप्रकाश और उसकी मां अलाय अस्पताल गए थे। वे हरीश और उसकी बहन रत्ना को घर पर ही छोड़ गए थे। जब दोपहर को परिजन घर लौटे, तो दरवाजा बंद मिला। काफी प्रयासों के बाद लोगों की मदद से उसे तोड़कर अंदर घुसे। इसके बाद काफी देर तक पूरा घर छानते रहे, लेकिन बच्चे नहीं मिले। फिर संदूक देखा, तो दोनों बच्चे बेहोश पड़े थे। उन्हें फौरन हास्पिटल ले जाया गया। लेकिन हरीश को नहीं बचाया जा सका। बच्ची का इलाज चल रहा है। जब परिजन घर लौटे और दरवाज नहीं खुला, तो उन्हें लगा कि बच्चे सो गए होंगे। इसलिए वे काफी देर तक इंतजार करते रहे।