सार
बंदर की मौत की सूचना के बाद मंगलवार को काफी संख्या में लोग पहुंच गए। बजरंग दल सहित कई हिंदूवादी संगठनों के लोग जुट गए। इसके बाद पूरे हिंदू रीति-रीवाज के साथ बंदर की शवयात्रा निकाली गई।
नई दिल्ली। बाड़मेर में एक बुजुर्ग बंदर की शवयात्रा पूरे विधि-विधान के साथ निकली। बुजुग बंदर ने जब खाना पीना छोड़ दिया तो मोहल्लेवासियों ने डॉक्टर को दिखाया। अधिक तबीयत बिगड़ी तो इंजेक्शन भी लगवाया। लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। सोमवार को बंदर की मौत के बाद उसकी लोगों ने उसका हिंदू विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया। शवयात्रा में काफी संख्या में लोग पहुंचे। खूब जयकारे के साथ निकले।
काफी संख्या में बंदर आते हैं बाड़मेर में...
बाड़मेर शहर के शास्त्री नगर मोहल्ले में काफी बंदर आते हैं। कई दिनों से एक बुजुर्ग बंदर काफी शांति से एक पेड़ पर बैठा रहता था। सब बंदर लौट गए लेकिन वह वहीं पेड़ पर बैठा रहा। मोहल्ले के सुखदेव सोनी व अन्य लोगों ने जब यह देखा तो उन लोगों ने बंदर को कुछ खाने-पीने को दिया। लेकिन उसने कुछ लिया नहीं। पशु प्रेमी लोगों ने बंदर को फल दिया लेकिन काफी प्रयास के बाद भी नहीं खाया। काफी लोगों का ध्यान गया। सुखदेव व अन्य लोगों को समझ में आ गया कि बंदर की तबीयत सही नहीं है। फिर मेडिकल टीम को बुलाया। मेडिकल टीम ने बंदर का उपचार किया। उसे कुछ दवाइयों और इजेक्शन दिया। लेकिन देर रात में बंदर ने दम तोड़ दिया।
मंगलवार को विधि-विधान से कराया अंतिम संस्कार
बंदर की मौत की सूचना के बाद मंगलवार को काफी संख्या में लोग पहुंच गए। बजरंग दल सहित कई हिंदूवादी संगठनों के लोग जुट गए। इसके बाद पूरे हिंदू रीति-रीवाज के साथ बंदर की शवयात्रा निकाली गई। मृतक बंदर के शव को श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। बंजरग दल के सुखदेव का कहना है कि बंदर के प्रति हिंदुओं में आस्था होती है। वे बजरंग बली का प्रतीक होते हैं। बुजुर्ग बंदर की बीमारी से देर रात मौत हो गई। हमने शास्त्री नगर से सार्वजनिक श्मशान घाट तक 2 किलोमीटर की अंतिम यात्रा निकाली।