सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 1 नवंबर को राजस्थान (Rajasthan) के बांसवाड़ा (Banswara) जिले के दौरे पर आ रहे हैं। जहां पीएम आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में एक विशाल रैली करेंगे। इसके राजस्थान बीजेपी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 1 नवंबर को राजस्थान (Rajasthan) के बांसवाड़ा (Banswara) जिले के दौरे पर आ रहे हैं। जहां पीएम आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में एक विशाल रैली करेंगे। जनसभा को संबोधित करेंगे. इस बैठक में तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के हजारों आदिवासी शामिल होंगे. बीजेपी जनसभाओं और सम्मेलनों के माध्यम से 99 आदिवासी सीटों के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
पीएम के स्वागत के लिए बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
राजस्थान में 1 नवंबर को प्रधानमंत्री बांसवाड़ा में बड़ी जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं। यह कहने को तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक औपचारिक कार्यक्रम है। लेकिन इसी दिन से राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू होने वाली है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शसतीश पूनिया दोनों अपने- अपने खेमे के साथ पिछले 1 सप्ताह से इस कार्यक्रम की तैयारियों में लगे हुए हैं। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भले ही राजस्थान में भाजपा की फूट उजागर नहीं हो। लेकिन इस दिन के बाद से राजस्थान में एक बार फिर बीजेपी की खींचतान जनता के सामने आएगी।
सतीश पूनिया ने संभाला मोर्चा
दरअसल भाजपा ने इस बार राजस्थान में चुनाव के 1 साल पहले से ही अलग-अलग इलाकों में तैयारियां शुरू कर दी थी। अलवर जिले में जहां कानून व्यवस्था के विरोध में भाजपा ने आम सभा के नाम पर चुनावी प्रदर्शन किया था। इसके बाद सीकर में किसान सम्मेलन के नाम पर हजारों कार्यकर्ता जुटे। हालांकि दोनों कार्यक्रमों के मुख्य सूत्रधार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ही थे। लेकिन अब बांसवाड़ा में होने वाले इस कार्यक्रम में केंद्रीय नेतृत्व सभी नेताओं को एक मंच पर लाकर पार्टी की एकजुटता साबित करना चाहता है। सभा में ऐसा होगा भी। लेकिन इसी दिन से केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान में सीएम फेस का सर्वे भी शुरू कर देगा।
कार्यक्रम की कमान वसुंधरा राजे के हाथ
बांसवाड़ा में होने वाली इस सभा को नरेंद्र मोदी संबोधित कर रहा राजस्थान गुजरात और मध्य प्रदेश के करीब 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों में आदिवासी वोट बैंक को साधने का काम करेंगे। लेकिन आदिवासी इलाके में आज भी वसुंधरा राज्य का ही पलड़ा भारी है। करीब 40% से ज्यादा आदिवासी वोट बैंक वसुंधरा राजे के पक्ष में है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस पूरे कार्यक्रम की कमान वसुंधरा राजे को ही सौंपी है। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक ने वसुंधरा राजे का साथ नहीं दिया। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व करीब 1 साल तक वसुंधरा राजे के जरिए वापस अपना आदिवासी वोट बैंक साधने का काम करेगा।
राजस्थान के बीजेपी नेता डोर-टू डोर संपर्क कर रहे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांसवाड़ा में कई रेलवे के प्रोजेक्ट का भी शिलान्यास करेंगे। विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान में यह प्रधानमंत्री की बड़ी घोषणा होगी। इसका प्रदेश की जनता में अच्छा संदेश भी जाएगा। लेकिन भाजपा के नेताओं में पलड़ा वसुंधरा राजे का ही भारी होगा। ऐसे में सतीश पूनिया ने भी इस कार्यक्रम को अपने समर्थन में लेने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। पूनिया आदिवासी इलाकों में जाकर लगातार डोर टू डोर संपर्क साधने में जुटे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री की इस सभा के बाद एक बार फिर वसुंधरा राजे ग्रुप और सतीश पूनिया ग्रुप केंद्रीय नेतृत्व को खुद को बेहतर साबित करने के लिए अलग-अलग दांवपेच अपनाएगा। राजस्थान में नया साल शुरू होने के साथ ही वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया प्रदेश सरकार के विरोध में कई कैंपेन शुरू करेंगे। जिनमें किसानों की कर्ज माफी और फसल खराबा मुख्य मुद्दे रहेंगे।
भाजपा जहां कमजोर वहां अलग-अलग अभियान
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 1 साल पहले से ही नई स्ट्रेटजी सही काम शुरू किया है। पहले जहां अलवर में कानून व्यवस्था के विरोध में आंदोलन हुआ। यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत थी। जिसे भाजपा ने अपने पक्ष में लेने के लिए यह आंदोलन किया। इसके बाद शेखावाटी में किसान सम्मेलन हुआ। जहां 21 सीटों में से 18 सीटें कांग्रेस के पास है। ऐसे में यहां किसान वोट बैंक साधने के लिए यह सम्मेलन हुआ। और अब बांसवाड़ा डूंगरपुर जैसे इलाकों में आदिवासी वोट बैंक साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आ रहे हैं।