सार
राजस्थान (Rajasthan) में मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद भी कांग्रेस में अंदरखाने विरोध देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) के नवनिर्वाचित सलाहकार रामकेश मीणा (mla ramekesh meena) ने अपनी ही पार्टी के नेता सचिन पायलट (sachin pilot) पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पायलट ने हाईकमान को गुमराह किया और निर्दलीयों और बसपा विधायक (BSP MLA) को मंत्री नहीं बनने दिया।
जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद भी कांग्रेस में अंदरखाने विरोध देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) के नवनिर्वाचित सलाहकार रामकेश मीणा (mla ramekesh meena) ने अपनी ही पार्टी के नेता सचिन पायलट (sachin pilot) पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पायलट ने हाईकमान को गुमराह किया और निर्दलीयों और बसपा विधायक (BSP MLA) को मंत्री नहीं बनने दिया। मीणा ने ये भी कहा कि 2023 में कांग्रेस (Congress) अगर पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है तो बुरी तरह हार जाएगी।
मीणा को गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता है और वे गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक हैं। उन्होंने सोमवार को ही मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में पायलट ने आलाकमान को गुमराह किया। इसके चलते निर्दलीय और बसपा से आए विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई। मीणा ने सीधा आरोप लगाया कि 2018 में टिकट वितरण के समय भी पायलट ने हाईकमान को गुमराह करके हमारे टिकट कटवाए थे। इसके बावजूद हमारे साथी बसपा या निर्दलीय लड़कर चुनाव जीते। अगर पायलट हमारे टिकिट नहीं कटवाते तो कांग्रेस 150 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करती।
पायलट करते रहे हमारा विरोध: मीणा
मीणा ने कहा कि जिन्होंने (BSP-Independent MLA) संकट के समय कांग्रेस सरकार का साथ दिया, उनके खिलाफ पायलट ने हाईकमान के सामने माहौल बनाया। गहलोत का जिसने भी साथ दिया, समय आने पर वे जरूर उन्हें जिम्मेदारी देते हैं। पायलट ने बार-बार हाईकमान के पास जाकर निर्दलियों और बसपा से कांग्रेस में आने वालों को मंत्री बनाने का विरोध किया। बार-बार हाईकमान से कहा कि कांग्रेस का बहुमत है। निष्ठावान कार्यकर्ताओं को तवज्जो मिलना चाहिए। ये बातें करके हाईकमान को गुमराह किया। हकीकत तो यह है कि निर्दलीय साथ नहीं होते तो सरकार नहीं बचती।
पायलट का विरोध करेंगे, गहलोत का नेतृत्व स्वीकार
विधायक मीणा का कहना था कि विधानसभा चुनाव में टिकिट वितरण की जिम्मेदारी पूरी तरह गहलोत साहब के हाथों में होती तो कांग्रेस की 150 सीटें आतीं। हम सीएम गहलोत सरकार के साथ संकट के समय थे। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री का चेहरा अशोक गहलोत को ही रखा जाए। अगर पायलट को कमान दी जाती है तो पूरी तरह से विरोध करेंगे। पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत सकती।
कांग्रेस बैकग्राउंड से हैं निर्दलीय और बसपा एमएलए
रामकेश ने कहा कि बसपा से आए साथियों और निर्दलियों ने कोई अपराध नहीं किया। ये यब मूल रूप से कांग्रेस बैकग्राउंड से ही हैं, लेकिन इनके टिकट काटे गए। पायलट ने मेरा भी टिकट काट दिया। पायलट ने जिनका भी टिकट काटा, वे सब जनाधार वाले लोग थे। निर्दलियों ने तन-मन-धन लगाकर 34 दिन सरकार का साथ दिया था।
तो बनी रहेगा अभी खींचतान
मीणा के बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस में आपसी खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रही है। गहलोत और पायलट कैंप के बीच भले हाईकमान के सामने सुलह के तौर पर पेश किया जा रहा है, मगर अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अभी कुछ दिन तक दोनों खेमों के बीच टकराव जारी रह सकता है।
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