सार

राजस्थान में सियासी घटनाक्रम लगता है जल्द बंद होने वाला नहीं है। क्योंकि अब सीएम  गहलोत ने बीजेपी पर उनकी सरकार को गिराने का आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा-हमारे विधायक अमित शाह के घर मीटिंग कर रहे हैं। उनके हाथों से मिठाई खा रहे हैं।

जयपुर. राजस्थान में पिछले हफ्ते मचा सियासी बवंडर जैसे तैसे थमा है। आलाकमान ने इस बवंडर को काबू करने के लिए कई बड़े अप्रत्याशित फैसले लिए तब जाकर यह बवंडर कुछ कम हो सका है । लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान के बाद फिर से इस बवंडर को हवा मिल गई है।  उन्होंने बिना नाम लिए कुछ विधायकों के बारे में कहा है कि वे अमित शाह की गोद में बैठे हैं और उनकी गोद में बैठे बैठे उनके हाथ से मिठाई खा रहे हैं । बताया जा रहा है यह पूरा इशारा पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की तरफ है , क्योंकि सचिन पायलट पर साल 2020 में भारतीय जनता पार्टी की मदद से राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार गिराने के आरोप लग चुके हैं । इस दौरान भी अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका संदिग्ध रही थी।

 10 करोड दे रहे थे फिर 40 करोड़ देने लगे लेकिन हमारे विधायक नहीं गए 
 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि साल 2020 में सरकार गिराने के दौरान विधायकों को 10 10 करोड़ के आफर दिए गए थे और जब राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने की तारीख तय कर दी थी तो उसके बाद यह राशि बढ़ाकर ₹400000000 तक कर दी गई थी।  लेकिन हमारे विधायकों ने सरकार बचाई । भारतीय जनता पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि  हॉस ट्रेडिंग और विधायकों की खरीद-फरोख्त जो उनका पेशा है।

बीजेपी ने एमपी-कर्नाटक, महाराष्ट्र में सरकार गिरा दी और राजस्थान और बिहार की बारी...
अशोक गहलोत ने कहा- आपने देखा मध्य प्रदेश, कर्नाटक  महाराष्ट्र में सरकार गिरा दी गई है । अब जिस राज्य में भारतीय जनता पार्टी के अलावा अन्य सरकार है उसे गिराने की कोशिशें लगातार जारी है।  बिहार के दौरे बढ़ा दिए गए हैं।  राजस्थान में दखल शुरू हो गई है।  कई और राज्यों में विधायकों को खरीदा जा रहा है । लेकिन राजस्थान में हमारी सरकार को गिराने की  कोशिश नाकामयाब हो गई है।  सरकार पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी । 

गहलोत ने कहा-50 साल के राजनीतिक कैरियर में पहली बार ऐसा हुआ...
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनके 50 साल के राजनीतिक कैरियर में पहली बार ऐसा हुआ है जब आलाकमान के निर्देशों की पालना नहीं हो सकी।  गहलोत बोले कि मैं उस रात सो तक नहीं सका।  लेकिन कई बार चीजें आपके हाथ में नहीं होती । हाईकमान के प्रतिनिधि आते हैं तो हम सब की यही ड्यूटी होती है कि उनके एक लाइन के प्रस्ताव पारित कराएं । लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका।  ऐसी परिस्थितियां क्यों बनी इस बारे में हम जांच पड़ताल कर रहे हैं । गहलोत ने कहा कि फिर से पर्यवेक्षक आने को है और अब इस बार उनको पूरा सम्मान मिलेगा । इस बार राजस्थान शिकायत का मौका नहीं देगा।

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