सार
राजस्थान के सीकर जिले से एक ऐसी कामयाबी की कहानी सामने आई है, जो युवाओं के लिए मिसाल है। यहां के रहने वाले कैलाश सेन लगातार 11 बार प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल हुए। इतना ही नहीं 4 साल तो दुबई में मजदूरी भी की। लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसने सरकारी शिक्षक पद हासिल कर लिया।
सीकर. यदि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो किस्मत भी कदमों में होती है। इंसान हर मुसीबतों को पार कर सफलता हासिल कर सकता है। ये साबित कर दिखाया है राजस्थान के सीकर जिले के बीादासर गांव निवासी कैलाश सैन की। जिसने प्रतियोगी परीक्षाओं में 11 बार असफल रहने पर चार साल मजदूरी की। लेकिन, अपनी पढ़ाई की लगन व सरकारी नौकरी की ललक नहीं छोड़ी। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसने सरकारी शिक्षक पद हासिल कर लिया। कैलाश जिले में संघर्ष से जीत की नायाब नजीर बन गया है।
शुरू से देखा शिक्षक बनने का सपना, हर बार चूका
कैलाश सैन बचपन से ही शिक्षक बनना चाहता था। इसके लिए उसने खूब प्रयास भी किये। लेकिन, किस्मत ने उसे हमेशा धोखा दिया। 11 बार परीक्षा देने पर वह हर बार कुछ अंकों से चूक जाता। दो परीक्षाओं में तो वह सफलता से दो अंक ही दूर रहा।
चार साल दुबई में की मजदूरी
आखिरकार बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे मजदूरी की तरफ रुख करना पड़ा। उसने पहले तो राजस्थान में अलग अलग कंपनियों में काम किया पर जब आर्थिक हालत नहीं सुधरे तो वह दुबई चला गया। जहां उसने चार साल तक मजदूरी की। लेकिन, वहां भी काम करने के साथ उसने पढ़ाई जारी रखी। दिन में मजदूरी के साथ वह रात को कमरे में पढ़ता रहा। आखिरकार 2018 की शिक्षक भर्ती परीक्षा में उसे मेहनत का फल मिला और वह द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में पास हो गया।
यूं एक के बाद एक 11 परीक्षा दी
कैलाश सैन ने सफलता से पहले 11 बार असफलता का कड़वा स्वाद भी चखा। सैन पांच बार थर्ड ग्रेड, चार बार द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती और दो बार प्रथम श्रेणी व्याख्याता भर्ती परीक्षा में सफल नहीं हो पाया। लेकिन, उसने अपनी मेहनत जारी रखी और आखिरकार मुकाम हासिल कर लिया।