सार
पुरानी कहावत है कि इश्क और जंग में सब जायज होता है। कोई अपने महबूब के लिए चांद और तारे तक तोड़ लाने के वादे करता है तो कोई पूरी दुनिया कदमों में बिछा देने का दावा करता है। पर अगर प्यार में पागलपन इतना बढ़ जाए कि मरने-मारने तक की नौबत आ जाए तो सावधानी जरूरी हो जाती है।
रिलेशनशिप डेस्क. कहते हैं इश्क आग का दरिया है जिसमें अक्सर झुलस जाने का खतरा रहता है। पर यहां तो इश्क खून का दरिया बन गया, वह भी एक नहीं बल्कि दो जिंदगियों का। आपने बेवफाई से नाराज आशिक के हत्यारा या जान का दुश्मन बन जाने की कई घटनाएं पढ़ी या सुनी होंगी पर मेरठ में जो हुआ उसने सबको अंदर तक सिहरा दिया। यहां एक पागल प्रेमी ने पहले तो अपनी प्रेमिका की गोली मारकर हत्या कर दी, फिर खुद को भी गोली से उड़ा दिया। यह घटना मेरठ के परीक्षितगढ़ थाना इलाके की है। यहां के दरवेशपुर गांव में किरणपाल नाम के एक शख्स ने मिथिलेश नाम की महिला की हत्या कर सुसाइड कर लिया। बताया जा रहा है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध था पर प्रेमिका ने कदम पीछे खींचे तो गुस्से में प्रेमी ने यह कांड कर डाला।
हत्या के बाद लाश से लिपटकर रोया कातिल प्रेमी
चश्मदीदों के मुताबिक मिथिलेश नाम की महिला सुबह-सुबह खेत में काम से कई थी। वहीं पर प्रेमी किरण पाल उसका इंतजार कर रहा था। पहले तो उसने प्रेमिका को अपने साथ रहने के लिए समझाया-बुझाया। उसके बाद भी महिला नहीं मानी तो वह गुस्से में पागल हो गया और हमला कर दिया। जान बचाने के लिए प्रेमिका भागी तो पीछे से प्रेमी ने उसे गोली मार दी। गोली लगते ही मिथिलेश वहीं गिर पड़ी और मौके पर ही दम तोड़ दिया। उसके बाद प्रेमी काफी देर तक उसकी लाश से लिपटकर रोता रहा और फिर खुद को भी गोली मार ली।
पांच-पांच बच्चों की जिम्मेदारी, फिर भी जुनून भारी
इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। हैरान करने वाली बात यह है कि प्रेमी किरण पाल और प्रेमिका मिथिलेश दोनों शादी-शुदा थे। दोनों के पांच-पांच बच्चे भी थे। बावजूद इसके दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गया। काफी समय तक दोनों एक दूसरे से मिलते-जुलते रहे और अंत में इस प्रेम कहानी का ऐसा अंजाम हुआ जिसने सबको दहला कर रख दिया है।
सबसे बड़ा सवाल, प्यार बड़ा या परिवार
इस घटना से ऐसे प्रेम संबधों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। सवाल यह है कि शादी-शुदा होते हुए भी ऐसा प्रेम संबंध कितना जायज है? पति-पत्नी के रिश्ते से बाहर जाकर ऐसे अनैतिक संबंध बनाना कितना उचित है? शहरों और महानगरों में एक्स्ट्रा-मैरिटल रिश्तों को लेकर पहले से ही बहस तेज है। पर अब गांव-कस्बों में भी ऐसे संबंध तेजी से फलने-फूलने लगे हैं। सवाल है कि यह समाज के लिए किस तरह का संकेत है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि ऐसे संबंधों में जाने से पहले प्रेमी-प्रेमिका अपने परिवार के बारे में क्यों नहीं सोचते? खासकर उन बच्चों को क्यों भूल जाते हैं जिनका भविष्य पूरी तरह से अपने मां-बाप के रिश्ते और उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है।
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