सार

बच्चों का सही ढंग से विकास हो सके, इसके लिए हर माता-पिता चिंतित रहते हैं। कम उम्र से ही बच्चों का खास तरीके से ख्याल रखने से उनका संतुलित विकास होता है। 

रिलेशनशिप डेस्क। बच्चों का सही ढंग से विकास हो सके, इसके लिए हर माता-पिता चिंतित रहते हैं। कम उम्र से ही बच्चों का खास तरीके से ख्याल रखने से उनका संतुलित विकास हो पाता है। आज के समय में बच्चों के पालन-पोषण की चुनौतियां बढ़ गई हैं, क्योंकि अब ज्यादातर महिलाएं भी कामकाजी हैं। बच्चों को माता-पिता के साथ की जरूरत होती है। इसके अलावा, अब ऐसे कई तरह के गैजेट्स आ गए हैं, जिनमें बच्चे व्यस्त तो रहते हैं, लेकिन इसका उन पर अच्छा असर नहीं पड़ता। उम्र के हर पड़ाव पर बच्चों की जरूरतें बदलती रहती हैं। पेरेन्ट्स को भी उसी हिसाब से उनका ध्यान रखना होता है। जानें कुछ टिप्स।

1. बच्चों के साथ फ्रेंडली रहें
अगर पेरेन्ट्स बच्चों के साथ दोस्ताना बर्ताव करते हैं तो इसका उनके विकास पर अच्छा असर पड़ता है। बहुत से माता-पिता किसी न किसी बात को लेकर बच्चों को डांटते-फटकारते रहते हैं। इससे बच्चों के मन में डर बैठ जाता है और वे खुल कर अपनी बात नहीं रख पाते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपनी समस्याएं बताएं तो उनके साथ फ्रेंडली रहें। इससे बच्चों का सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है।

2. हर समय उन्हें टोके नहीं
बहुत से पेरेन्ट्स की आदत होती है कि वे बात-बात पर बच्चों को टोकते रहते हैं और किसी भी बात को लेकर काफी पूछताछ करते हैं। इससे बच्चों की कल्पना शक्ति और रचनात्मकता पर बुरा असर पड़ता है। बच्चे कई बार ऐसे काम कर देते हैं, जिनके बारे में बड़े सोच तक नहीं पाते। इसलिए उनका ध्यान तो रखें, लेकिन उन्हें अपनी मर्जी का काम करने से हमेशा रोके नहीं। 

3. गलती करने पर गुस्सा नहीं करें
गलती किससे नहीं होती। बड़े भी गलती करते हैं, बच्चे तो बच्चे ही हैं। अगर बच्चे कोई गलती करते हैं तो उन्हें प्यार से समझाएं। डांटने-फटकारने से बच्चे डर जाते हैं, जिसका उनके मन पर नकारात्मक असर होता है। किसी बच्चे को बार-बार डांटने-फटकारने पर उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है और उनमें हीन भावना आ जाती है।

4. अपने काम खुद करने दें
कुछ लोग यह समझते हैं कि बच्चे अपने काम ठीक से नहीं कर पाएंगे, इसलिए वे उनके छोटे-छोटे काम भी कर देते हैं। इससे बच्चों में दूसरों पर निर्भर रहने की आदत होने लगती है। बच्चों को उनके अपने काम खुद करने दें। साथ ही, उन्हें कुछ जिम्मेदारी भी सौंपे। इससे बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना आती है। 

5. बच्चों से बात करने का समय निकालें
अगर आप चाहते हैं कि बच्चों का संतुलित विकास हो सके तो आप चाहे जितने भी व्यस्त क्यों न हों, उनसे बात करने का थोड़ा वक्त जरूर निकालें। पेरेन्ट्स से बातें करने पर बच्चों को अच्छा महसूस होता है और उनमें सुरक्षा की भावना विकसित होती है। उनका मनोबल बढ़ता है। आप बच्चों से उनकी रुचि के किसी विषय पर बात कर सकते हैं। इससे आपको भी बेहतर महसूस होगा।