सार
उसकी जिंदगी में सबकुछ अच्छा चल रहा था। बच्चे और पति के साथ वो खुशहाल जिंदगी जी रही थी। लेकिन जब मेनोपॉज का दौर शुरू हुआ तो उसकी लाइफ में बहुत कुछ बदल गया। उसे एहसास हुआ कि उसका पति कितना स्वार्थी है।
रिलेशनशिप डेस्क. हर महिला मेनोपॉज के दौर से गुजरती है। 45 की उम्र के बाद उन्हें पीरिड्स से छुटकारा मिलता है। जिसकी उन्हें खुशी होती है, लेकिन मेनोपॉज अपने साथ कुछ समस्या भी लेकर आती है। हॉट फ्लैशेज, चक्कर आना, भूख कम लगना, मन उदास, शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा कम हो जाना समेत कई समस्या सामने आती है। मेनोपॉज को लेकर महिलाओं की अलग-अलग कहानी है। एक कहानी गीत (काल्पनिक नाम) की भी है। जिसे मेनोपॉज के दौरान एहसास हुआ कि उसका पति कितना स्वार्थी है।
यूके में रहने वाली एशियाई मूल की 55 साल की गीत बताती हैं,'55 साल की उम्र में मुझे पीरियड्स से छुटाकार मिला।मैं खुश थी कि मुझे ब्लीडिंग और सैनिटरी पैड से छुटाकारा मिल गया है। लेकिन इस बात से अंजान थी कि मेनोपॉज की क्या-क्या समस्या हो सकती हैं। मेरी मां ने भी कभी इसके बारे में नहीं बताया था। मुझे नहीं पता था कि कि यह मेरे लिए अब तक की सबसे कठिन चीजों में से एक होगी। न ही मुझे इस बात का अंदाजा था कि इससे मुझे एहसास होगा कि मैं अपने पति को बर्दाश्त नहीं कर सकती।
अरेंज मैरिज करने के बाद, हम 30 साल से अधिक समय से साथ हैं और कुछ समय पहले तक हमारा रिश्ता ठीक था। वह बहुत केयरिंग था और अक्सर हम सभी को साथ लेकर वेकेशन पर जाता था। हम दोनों के पास नौकरी थी और अपने जीवन से संतुष्ट थे।फिर,मार्च 2020 में लॉकडाउन के दौरान हमारी नौकरी चली गई। जिसके बाद हमारी दुनिया ही बदल गई। मैं दिन भर घर में रहती थी कोई प्राइवेसी नहीं बची थी। रसोई, सफाई यहीं जिंदगी हो गई थी। इस दौरान मैं मेनोपॉज के दौर से गुजर रही थी।
पति का सपोर्ट इस दौरान बिल्कुल नहीं मिला। वो मुझे रात में जगाना शुरू कर दिए ये कहते हुए कि तुम खर्राटा ले रही हो। मैं उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाती थी। जिसकी वजह से वो गुस्से में रहता था। मुझे याद नहीं है कि कभी उसने पूछा कि तुम कैसा महसूस कर रही हो। एक कप चाय चाहिए। मैं खुद को बीमार और भुलक्कड़ महसूस करने लगी थी। हालत जब बहुत खराब हो गए तो मैं डॉक्टर के पास गई। ब्लड टेस्ट हुआ इसके बाद उन्होंने बताया कि आप मेनोपॉज के दौर से गुजर रही हैं।
इसके बाद मैं देख सकती थी कि मेरे पति कितने स्वार्थी थे। अचानक मैंने देखा कि वो केवल अपने बारे में बात करना चाहते थे। हम एक दूसरे से दूर रहने लगे। अलग-अलग कमरे में रहने लगें। मैं केवल इतना देख सकती थी कि मेरे पति कितने स्वार्थी थे और अचानक मैंने देखा कि वह केवल अपने बारे में बात करना चाहते थे। हम एक-दूसरे से दूर रहने लगे, दूसरे कमरे में आने पर दूसरे कमरे में चले गए।लॉकडाउन में ढील के बाद भी चीजें बेहतर नहीं हुईं। अब, मेरे पति अपना सारा समय अपने माता-पिता के घर या जिम में बिताते हैं। उनका व्यवहार हमेशा से ऐसा ही रहा है लेकिन मुझे लगता है कि नहीं ऐसा नहीं है। मेनोपॉज के बाद मुझे लगा कि हमेशा से उसके माता-पिता मुझसे पहले आते थे।
मैं कुछ महीने पहले दूसरे बेडरूम में चली गई। कम से कम अब मुझे नींद अच्छी आ सकती है। मुझे उसके आस-पास न रहने की आदत हो रही है और उसके करीब आने का विचार मुझे बीमार महसूस कराता है।मैंने एचआरटी (Hormone replacement therapy) लेना शुरू कर दिया है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा है। मैं एक काउंसलर के पास जाती हूं। क्योंकि कभी-कभी मेरे मन में सुसाइड का ख्याल भी आता था। मैं सोचती थी कि काश में यहां नहीं होती।
ये कहानी सिर्फ गीत की नहीं हैं। मेनोपॉज के दौरान ज्यादातर महिला इस दौर से गुजरती हैं। वो खुलकर किसी से बात नहीं कर पाती है। खासकर एशियाई महिलाएं जो परिवार, समाज के डर से अपने एहसास को बयां नहीं कर पाती हैं। नोट: कहानी में इस्तेमाल की गई तस्वीर सांकेतिक है।
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