सार

वैवाहिक जीवन में हमेशा खुशियां ही नहीं होतीं। कई बार लोग मैरिड लाइफ से परेशान हो जाते हैं। अक्सर कई मुद्दों पर गलत सोच के चलते भी मैरिड लाइफ में परेशानियां आती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क। कहते हैं कि प्यार के रिश्ते को विवाह में ही पूर्णता मिलती है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि मैरिड लाइफ में हमेशा खुशी ही बनी रहे। कई बार मैरिड लाइफ में इतनी परेशानियां आती हैं कि लोग सोचते हैं कि सिंगल रहना इससे कहीं बेहतर होता। कई बार गलत सोच के चलते भी इंसान परेशान हो जाता है। विवाह को लेकर उसकी कुछ अपेक्षाएं ऐसी होती हैं, जो वास्तविकता से मेल नहीं खातीं। अगर ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होती तो लोगों में असंतोष की भावना बढ़ने लगती है। कई बार इससे पति-पत्नी के बीच झगड़े इतने बढ़ते हैं कि जीना मुश्किल हो जाता है। जानते हैं मैरिज को लेकर ऐसी क्या सोच है जो नेगेटिव इम्पैक्ट डालती है। 

1. विवाह का मतलब है समझौता
यह धारणा काफी फैली है कि विवाह समझौते का दूसरा नाम है। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। विवाह के बाद पति और पत्नी अपनी पहचान, आदतों और रुचियों को लेकर एडजस्ममेंट करते हैं, लेकिन यह उनकी खुशियों और आत्मसम्मान की कीमत पर नहीं होता। इसलिए विवाह को समझौता मान कर यह सोचना कि इसे ढोना होगा, संबंधों में नेगेटिविटी लाता है। इससे बचना चाहिए।

2. हमेशा बना रहता है प्यार
यह भी एक ऐसी सोच है जो वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक असर डालती है। किसी भी रिश्ते में हमेशा एक जैसा प्यार बना रहे, यह जरूरी नहीं है। वैवाहिक रिश्ते को लेकर भी यह सच है। जरूरी नहीं कि विवाह की शुरुआत में जो प्यार की फीलिंग हो, वह बाद में भी उतनी ही बनी रहे। कई कारणों से इसमें कमी आती है, पर इसका मतलब यह नही है कि आपके रिश्ते खत्म हो रहे हैं। वैलाहिक जीवन में प्यार को जिंदा रखने के लिए कोशिश करनी पड़ती है और यह कोशिश पति और पत्नी, दोनों को करनी चाहिए। 

3. सिर्फ दुखी पति-पत्नी लड़ते हैं
ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि जो पति-पत्नी अपनी मैरिड लाइफ से खुश नहीं रहते, वही आपस में लड़ाई करते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप अपने गुस्से को दबा लेते हैं और अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं करते तो इससे कहीं ज्यादा नुकसान हो सकता है। अगर पति-पत्नी के बीच थोड़ी नोकझोंक होती है और वे गुस्से में एक-दूसरे को कुछ बोल देते हैं तो इससे उनके बीच प्यार कम नहीं होता। पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद होना स्वाभाविक है और इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।

4. विवाह को जिम्मेदारी और बोझ समझना
यह सच है कि विवाह के साथ जिम्मेदारियां जुड़ी होती हैं, लेकिन इसे बोझ नहीं समझना चाहिए। जिम्मेदारी जीवन में जरूरी है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि विवाह के बाद सिर्फ किसी एक पर ही जिम्मेदारी आती है। कोई भी जिम्मेदारी पति और पत्नी, दोनों के लिए होती है और दोनों साथ मिल कर उसे निभाते हैं। इससे पति-पत्नी के बीच नजदीकी बढ़ती है। जिम्मेदारी को बोझ वही लोग समझते हैं जो गैर जिम्मेदार हों। 

5. क्या विवाह से इंसान बदल जाता है
यह एक ऐसी गलत धारणा है जो सबसे ज्यादा प्रचलित है। इसके बारे में एक पुरानी कहावत है। कहा जाता है कि विवाह की ट्रैजिडी यह है कि औरतें समझती हैं कि उनके पति बदल जाएंगे, जबकि पुरुषों को लगता है कि उनकी पत्नियां कभी बदलने वाली नहीं। भूलना नहीं चाहिए कि विवाह के बाद भी इंसान का स्वभाव नहीं बदलता और अगर किसी का स्वभाव गलत नहीं तो उसे बदलने की कोई जरूरत भी नहीं।