सार
छठ व्रत में लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखना पड़ता है। छठ पर्व (2 नवंबर, शनिवार) में चार दिनों का व्रत मागधी संस्कृति की अनूठी मिसाल है। इस व्रत मुख्य रूप से सूर्यदेव की पूजा की जाती है।
उज्जैन. सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर चलते हैं। इसलिए इस व्रत से हमें भी लाइफ मैनेजमेंट के 7 सूत्र जरूर सिखना चाहिए। ये हैं लाइफ मैनेजमेंट के वो 7 सूत्र...
1. सात्विक
कार्तिक मास शुरू होते ही खाने-पीने से लेकर पहनने और सोने तक में सात्विकता रहती है। व्रत के चार दिन पहले से इसमें खास सतर्कता बरती जाती है।
2. सहृदयता
छठ में प्रयोग होने वाली किसी चीज के लिए किसी में नकार भाव बिल्कुल ही नहीं है। दूध, नारियल, सूप, गन्ना, लकड़ी आदि लोग खुले हाथ बांटते हैं ।
3. संयम
व्रत में संयम का बड़ा महत्व है। इंद्रियों को संयमित करने की प्रक्रिया तो व्रती पहले से शुरू कर देते हैं। व्रत के चार दिन तो संयमित जीवन का ही संदेश है।
4. स्वच्छता
छठ में स्वच्छता का महत्व आस्था जितना ही है। घर-बाहर ही नहीं, साफ-सफाई और व्रत का माहौल भी हमारे जीवन को एक नया आयाम देता है।
5. समर्पण
बिना संपूर्ण समर्पण के लक्ष्य हासिल करने में मुश्किलें आती है। छठ व्रत सूर्य के प्रति आस्था, सृष्टि और स्रष्टा के समक्ष कर्ता का समर्पण ही है।
6. सादगी
दिखावा से हर तरह का परहेज रहता है। ऐसा पर्व जिसमें व्रती महिलाएं शृंगार से भी परहेज करती हैं। नंगे पैर ही घाट जाने का प्रावधान है।
7. समरसता
व्रत, दिखावे के तमाम पचड़ों से बाहर है। सूप दउरा डोम के यहां से आता है, फूल माली के यहां से, चूल्हा से लेकर अन्य सामग्रियों को जुटाने का विधान है।