इस बार 8 नवंबर, शुक्रवार को देवप्रबोधिनी एकादशी है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने बाद नींद से जागते हैं, इसलिए इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
इस बार 8 नवंबर, शुक्रवार को देवउठनी एकादशी है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस पर्व से जुड़ी एक परंपरा भी है, वो है तुलसी और शालिग्राम शिला का विवाह कराना।
देवी-देवताओं की पूजा में कई प्रकार की चीजों का उपयोग किया जाता है। इन चीजों में चावल का विशेष महत्व है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को है। मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन नींद से जागते हैं। यही कारण है इस दिन से शुभ कार्यों की शुरूआत की जाती है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महिनों की नींद से जागते हैं।
महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। बहुत सी ऐसी बातें हैं जिसके बारे में आमजन नहीं जानते।
कई बार पूजा करते समय हम लोगों से कुछ भूल भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, ये बहुत कम लोगों को पता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस बार ये एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को है।
घर में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। मान्यता है कि इस परंपरा से घर पर भगवान की विशेष कृपा रहती है और परिवार सुखी रहता है। इसीलिए सभी लोग अपने-अपने घर में प्रतिमाएं जरूर रखते हैं।
देव प्रबोधनी एकादशी पर तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराने की परंपरा है। हिन्दी पंचांग के अनुसार इस बार ये तिथि 8 नवंबर, शुक्रवार को है। शालिग्राम नेपाल की गंडकी नदी के तल में मिलते हैं।