हिंदू धर्म में अनेक शुभ जैसे हवन या पूजा और अशुभ जैसे दाह संस्कार में विभिन्न प्रकार की लकड़ियों को जलाया जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान हमेशा रखा जाता है कि उपयोग में ली जाने वाली लकड़ियां बांस की न हो। ये हिंदू धर्म की परंपरा है, जिसके अंतर्गत बांस की लकड़ी को जलाना अशुभ माना जाता है। इसका कारण धार्मिक न होकर पूर्णत वैज्ञानिक हैं-
पूजा-पाठ में कई प्रकार के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। कुछ धातुएं ऐसी हैं जो पूजा में वर्जित की गई हैं। अगर वर्जित किए गए बर्तन पूजा में रखे जाते हैं तो धर्म-कर्म का पूरा पुण्य फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
विदुर नीति में लाइफ मैनेजमेंट से संबंधित अनेक सूत्र बताए गए हैं। ये बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।
माघ मास के शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इन नौ दिनों में तंत्र-मंत्र से देवी मां को प्रसन्न किया जाता है।
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 20 जनवरी, सोमवार को है।
इस बार 20 जनवरी, सोमवार को माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे षट्तिला एकादशी कहा जाता है। एकादशी पर भगवान श्रीहरि के लिए व्रत-उपवास किया जाता है और सोमवार के स्वामी शिवजी हैं।
हिंदू धर्म से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं। इनमें से कुछ परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। ऐसी ही एक परंपरा है ये भी है कि कोई भी शुभ काम करते समय काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
ग्रंथों के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद यमदूत उसकी आत्मा को यमराज के पास ले जाते हैं। यहां यमराज उसके कर्मों के अनुसार उसे स्वर्ग या नरक में भेजते हैं।
वास्तु शास्त्र पंच तत्वों पर आधारित है- अग्नि, वायु, पानी, पृथ्वी व आकाश। सूर्य भी अग्नि का ही स्वरूप है। अत: सूर्य भी वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस बार यह एकादशी 20 जनवरी, सोमवार को है।