इस बार 9 नवंबर, शनिवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत विभिन्न वारों के साथ मिलकर शुभ योग बनाता है।
इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को है। आमतौर पर देवउठनी एकादशी के ही दिन से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा। ग्रह के योग के कारण शुभ कार्यों के लिए लोगों को 10 दिन इंतजार करना होगा।
गुरु द्रोणाचार्य महाभारत के एक प्रमुख पात्र थे। कौरवों व पांडवों को अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य ने ही दी थी। महाभारत के आदि पर्व के अनुसार, गुरु द्रोणाचार्य देवताओं के गुरु बृहस्पति के अंशावतार और महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है। इस तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इस बार 9 नवंबर, शनिवार को शनि प्रदोष का योग बन रहा है।
इस बार 8 नवंबर, शुक्रवार को देवप्रबोधिनी एकादशी है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने बाद नींद से जागते हैं, इसलिए इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
इस बार 8 नवंबर, शुक्रवार को देवउठनी एकादशी है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस पर्व से जुड़ी एक परंपरा भी है, वो है तुलसी और शालिग्राम शिला का विवाह कराना।
देवी-देवताओं की पूजा में कई प्रकार की चीजों का उपयोग किया जाता है। इन चीजों में चावल का विशेष महत्व है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को है। मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन नींद से जागते हैं। यही कारण है इस दिन से शुभ कार्यों की शुरूआत की जाती है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महिनों की नींद से जागते हैं।
महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। बहुत सी ऐसी बातें हैं जिसके बारे में आमजन नहीं जानते।