सार
Gupt Navratri Kanya Pujan Vidhi: इन दिनों आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का पर्व चल रहा है। मान्यता है नवरात्रि में छोटी कन्याओं को घर बुलाकर भोजन करवाने से माता प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। इसे कन्या पूजन कहते हैं।
Ashadh Gupt Navratri 2024 Date: आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 6 जुलाई, शनिवार से शुरू हो चुका है। अन्य नवरात्रि की तरह इस नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व है। कन्या पूजन के लिए नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि बहुत श्रेष्ठ मानी गई है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि 14 जुलाई, रविवार और नवमी तिथि 15 जुलाई, सोमवार को है। आगे जानिए इन दोनों तिथि पर कैसे करें कन्या पूजा, मंत्र व अन्य खास बातें…
ये है कन्या पूजन की विधि (Kanya Pujan Vidhi-Mantra)
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। कन्या पूजन से पहले कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण देकर आएं। कम से कम 9 कन्याओं को भोजन के लिए बुलाएं।
- जब कन्याएं घर आ जाएं तो उन्हें सम्मान पूर्वक बैठाएं। घर में शुद्धता पूर्वक बनाया गया भोजन इन कन्याओं को खिलाएं। भोजन में खीर या हलवा जरूर बनवाएं। इनका भोग देवी को विशेष रूप से प्रिय है।
- जब सभी कन्याएं भोजन कर लें तो इनके पैर धोकर महावर या मेहंदी लगाएं। तिलक लगाएं और चुनरी ओढ़ाएं। इसके बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
- ये मंत्र बोलकर हर कन्या की पूजा करें और फूल कन्या के पैरों में रखकर प्रणाम करें। कन्याओं को कुछ उपहार और दक्षिणा यानी पैसे भी दें। कन्याओं को ससम्मान छोड़कर आएं।
इन बातों का रखें ध्यान…
1. कन्या पूजन के लिए 2 से 12 वर्ष तक की कन्याओं को ही बुलाएं। इससे ज्यादा या कम उम्र की कन्या पूजन के योग्य नहीं मानी जाती।
2. कन्या पूजा से एक दिन पहले पति-पत्नी दोनों ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। कन्या पूजा के लिए भोजन तैयार करते समय देवी का स्मरण करते रहें।
3. कन्या पूजा में एक छोटे लड़के को भी जरूर बुलाएं। भैरव का रूप मानकर इन्हें भी भोजन करवाएं और उपहार आदि दें।
4. कन्याओं को आसन पर बैठाएं। उनके घर आने से लेकर जाते समय तक उनका पूरा सम्मान करें, क्योंकि इस समय वे साक्षात देवी का रूप होती हैं।
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