सार

Chaitra Purnima 2023: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये तिथि हर महीने के शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन आती है। इस तिथि पर चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में दिखाई देता है। इस तिथि पर दान, पूजा आदि का भी विशेष महत्व है।

 

उज्जैन. इस बार हिंदू नववर्ष का आरंभ 22 मार्च से हो चुका है। (Chaitra Purnima 2023) हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र होता है। हिंदू महीने के अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। चैत्र मास की पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Jayanti 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बन रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए कब है चैत्र मास की पूर्णिमा…

कब से कब तक रहेगी चैत्र पूर्णिमा तिथि?
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 5 अप्रैल, बुधवार की सुबह 09:19 से 6 अप्रैल, गुरुवार की सुबह 10:04 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का चंद्रोदय 5 अप्रैल को होगा, इसलिए इस दिन पूर्णिमा तिथि का व्रत किया जाएगा। यानी 5 अप्रैल को चैत्र मास की व्रत पूर्णिमा रहेगी। इसके अगले दिन यानी 6 अप्रैल को सूर्योदय पूर्णिमा तिथि में रहेगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि का स्नान और दान किया जाएगा और हनुमान जन्मोत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा। इस तरह पूर्णिमा तिथि से संबंधित व्रत-पूजा आदि दो दिन तक किए जाएंगे।

क्यों खास है चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा विक्रम संवत 2080 की पहली पूर्णिमा रहती है। धर्म ग्रंथों की मानें तो इसी तिथि पर भगवान शिव ने हनुमान के रूप में जन्म लिया था, इसलिए इस दिन पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव पूरी श्रद्धा और धूम-धाम से मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने का भी विशेष महत्व बताया गया है।

इस दिन करें ये उपाय
1. पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव हैं। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थान पर हो, उन्हें इस दिन चंद्रमा से संबंधित उपाय विशेष रूप से करना चाहिए। इससे इन्हें फायदा हो सकता है।
2. पूर्णिमा तिथि पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को अपनी इच्छा अनुसार, अनाज, भोजन, कपड़े आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
3. पूर्णिमा तिथि की सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पितरों के लिए तर्पण करें। इससे पितृ देवता भी प्रसन्न होते हैं।
4. पूर्णिमा तिथि की शाम को पीपल के निकट शुद्ध घी का एक दीपक जलाएं। इससे भी घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।


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