सार
Hal Shashthi 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से 2 दिन पहले उनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस दिन हलछठ का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं भी हैं।
Hal Shashthi 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी का त्योहार मनाया जाता है। इसे व्रत को हरछठ, उपछठ आदि कईं नामों से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई और शेषनाग के अवतार बलराम का जन्म हुआ था। इस बार हल षष्ठी पर्व पर कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस बार कब है हलषष्ठी पर्व…
कब है हलषष्ठी 2024? (Hal Shashthi 2024 Kab Hai)
पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 24 अगस्त, शनिवार की सुबह 07 बजकर 52 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 25 अगस्त, रविवार की सुबह 05 बजकर 31 मिनिट तक रहेगी। चूंकि षष्ठी तिथि का सूर्योदय 25 अगस्त, रविवार को होगा, इसलिए इसी दिन हलषष्ठी व्रत किया जाएगा।
हलषष्ठी 2024 शुभ योग-मुहूर्त (Hal Shashthi 2024 Shubh Yog-Muhurat)
ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से 25 अगस्त, रविवार को कईं शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन ध्रुव नाम का शुभ योग बनेगा, वहीं शाम को कुछ देर के लिए त्रिपुष्कर योग भी रहेगा। त्रिपुष्कर योग में कई गई पूजा, व्रत व उपाय आदि का 3 गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं…
- सुबह 07:45 से 09:19 तक
- सुबह 09:19 से 10:54 तक
- दोपहर 12:03 से 12:54 तक
- दोपहर 02:03 से 03:37 तक
इस विधि से करें हलषष्ठी व्रत (Hal Shashthi 2024 Puja Vidhi)
- 25 अगस्त, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- दोपहर में घर के आंगन में छोटा गड्ढा करके उसमें पलाश और कांसी के टहनियां पेड़ के रूप में लगा दें।
- इन दोनों टहनियों की पूजा करें। चना, जौ, गेहूं, धान, अरहर, मक्का मूंग, भूने चने और जौ की बाली चढ़ाएं।
- पूजा के बाद व्रत की कथा सुनें। इस दिन दूध, दही, घी आदि न खाएं और न ही इससे बनी चीजें खाएं।
- बच्चों को कुमकुम से तिलक लगाएं। इस व्रत के शुभ प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
हल षष्ठी व्रत की कथा (Hal Shashthi Vrat Katha)
- किसी समय एक गरीब महिला गाय का दूध बेचकर अपना जीवन गुजारती थी। जब वह गर्भवती थी, तब एक दिन वह दूध बेचने बाजार जा रही थी। रास्ते में उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने पेड़ के नीचे एक पुत्र को जन्म दे दिया।
- पुत्र को जन्म देने के बाद उसे ध्यान आया कि लोगों को समय पर दूध देना है, नहीं तो ये खराब हो जाएगा। तब वह पेड़ के नीचे ही पुत्र को सुलाकर दूध बचने चली गई। संयोग से उस दिन हलछठ थी।
- हलषठ होने से लोगों को गाय नहीं बल्कि भैंस का दूध चाहिए था। महिला ने बोला कि ये ’भैंस का ही दूध है।’ इस बात से क्रोधित होकर छठ माता ने उस महिला के नवजात पुत्र के प्राण हर लिए।
- महिला ने जब अपने पुत्र को मृत देखा तो वह रोने लगी। उसे समझ आ गया कि ऐसा क्यों हुआ है। उसने छठ माता से माफी मांगी। छठ माता ने प्रसन्न होकर उसके पुत्र को फिर से जीवित कर दिया।
- मान्यता है जो भी महिला इस दिन हलषष्ठी का व्रत करती है, उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है। पुत्र की लंबी आयु के लिए भी ये व्रत किया जाता है।
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