सार
Hanuman Jayanti 2023: इस बार हनुमान जयंती का पर्व 6 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है और कई स्थानों पर महाआरती का आयोजन भी किया जाता है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा पर शिवजी के अवतार हनुमानजी का जन्म हुआ था। इस बार ये तिथि 6 अप्रैल, गुरुवार को है। (Hanuman Jayanti 2023) इस दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। कई स्थानों पर महाआरती का आयोजन किया जाता है। हनुमान को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों व स्तुतियों की रचना की गई है, लेकिन आरती सिर्फ एक ही है। ये आरती किसने लिखी है और हनुमानजी की आरती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये बात कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए इन सभी सवालों का जवाब…
किसने लिखी है हनुमान जी की आरती? (Kisne Likhi Hai Hanuman ji Ki Arti)
‘आरती कीजे हनुमान लला की’ ये आरती हनुमानजी की पूजा के बाद जरूर गाई जाती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये आरती लिखी किसने है? इस आरती के मूल लेखकर हैं गोस्वामी तुलसीदास। प्रचलित कथाओं के अनुसार, हनुमानजी ने गोस्वामी तुलसीदास को साक्षात दर्शन भी दिए थे।
हनुमानजी की आरती में किन बातों का ध्यान रखें?
हनुमानजी की पूजा करते समय बहुत सी बातों का ध्यान रखा जाता है, यही नियम हनुमानजी की आरती करते समय भी लागू होते हैं। जहां तक संभव हो हनुमानजी की आरती शुद्ध घी के 11 दीपकों से करें। इसके बाद कर्पूर आरती भी करें। आरती पर जल से छीटें दें। इसे आरती ठंडी करना कहा जाता है। सबसे पहले हनुमानजी को आरती दें और बाद में भक्तों को। इस तरह हनुमानजी की आरती करने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
ये है हनुमानजी की आरती (Hanuman Aarti Lyrics in Hindi)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
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