Hanuman Ji Bhog: मंगलवार के दिन हुनमान जी की पूजा होती है। इस दौरान उन्हें अलग-अलग तरह का भोग लगाए जाते हैं। ऐसे में पंडित आचार्य गोकुलेश शास्त्री ने बताया कि हनुमान जी के सबसे प्रिय प्रसाद कौन-कौन से हैं।

Hanuman Ji Prasad: मंगलवार का दिन राम भक्त हनुमान का होता है। जब कोई रास्ता नहीं दिखता तो भगवान हनुमान अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। श्री राम के भक्त हनुमान जी की पूजा करने के लिए भक्तों को उनसे जुड़े नियमों को जानना बेहद जरूरी होती है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की कृपा पाने के लिए भक्त उन्हें तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाते हैं। ऐसे में धन की कृपा पाने के लिए हनुमान जी को कौन सा प्रसाद मंगलवार के दिन चढ़ाना चाहिए इस बारे में हमें राजस्थान के अलवर में रहने वाले पंडित आचार्य गोकुलेश शास्त्री ने बताया है। आइए जानते हैं किन-किन प्रसाद को मंगलवार के दिन हनुमान जी को चढ़ाना चाहिए ताकि आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बरस सकें।

हनुमान जी का प्रिय प्रसाद कौन-कौन से हैं?

धन की प्राप्ति के लिए हनुमान जी को पान का बीड़ा, चूरमा, केसर भात, बेसन के लड्डू, केला, गुड़ और चना आदि ये चीजें आप प्रसाद के तौर पर उन्हें चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से हनुमान जी आप पर प्रसन्न होंगे और आपके लिए धन के रास्ते भी खोलेंगे। ये तमाम प्रसाद हनुमान जी को बहुत प्रिय है। इन्हें चढ़ाने से आपकी सारी मनोकामना पूरी हो सकती है।

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हनुमान जी के सबसे पावरफुल मंत्र कौन से हैं?

- ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा:

- ॐ रामदूताय विद्महे कपिराजाय धीमहि अंजनी पुत्र चिरंजीवे तन्नो हनुमत प्रचोदयात्:

- पंचमुखी हनुमान मंत्र: ॐ ह्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रः ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट:

- ॐ रामदूताय विद्महे कपिराजाय धीमहि अंजनी पुत्र चिरंजीवे तन्नो हनुमत प्रचोदयात्:

- संकट कटे, मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा:

हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti)

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे।

रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी।

संतान के प्रभु सदा सहाई।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए।

लंका जारी सिया सुध लाए।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई।

जात पवनसुत बार न लाई।।

लंका जारी असुर संहारे।

सियारामजी के काज संवारे।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।

आणि संजीवन प्राण उबारे।।

पैठी पताल तोरि जमकारे।

अहिरावण की भुजा उखाड़े।।

.बाएं भुजा असुर दल मारे।

दाहिने भुजा संतजन तारे।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।

जै जै जै हनुमान उचारे।।

.कंचन थार कपूर लौ छाई।

आरती करत अंजना माई।।

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लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई।

तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।

जो हनुमानजी की आरती गावै।

बसी बैकुंठ परमपद पावै।।