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Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर कैसे करें कान्हा की पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें? जानें शुभ मुहूर्त

Janmashtami Puja Vidhi: इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते ये पर्व और भी खास हो गया है। इस दिन कान्हा की पूजा कैसे करें, आगे जानिए।

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Manish Meharele
Published : Aug 15 2025, 08:21 AM IST
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जानें जन्माष्टमी 2025 से जुड़ी हर बात
Image Credit : Getty

जानें जन्माष्टमी 2025 से जुड़ी हर बात

Janmashtami 2025 Details In Hindi: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल मनाया जाता है। मान्यता है कि द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ थ। तभी से हर साल इसी तिथि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस त्योहार की रौनक पूरे देश में दिखाई देती है। लोग अपने घरों में कान्हा की पूजा करते हैं और सार्वजनिक रूप से मटकी फोड़ का आयोजन करते हैं। आगे जानिए जन्माष्टमी पर कैसे करें कान्हा की पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें आदि पूरी डिटेल…

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जन्माष्टमी 2025 पर कौन-से शुभ योग बनेंगे?
Image Credit : Getty

जन्माष्टमी 2025 पर कौन-से शुभ योग बनेंगे?

16 अगस्त, शनिवार को कईं शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते ये पर्व और भी खास हो गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार इस दिन वृद्धि, ध्रुव, ध्वजा और श्रीवत्स नाम के शुभ योग रहेंगे। इनके अलावा बुधादित्य और गजलक्ष्मी नाम के राजयोग भी ग्रहों की विशेष स्थिति के चलते बनेंगे। ये शुभ योग इस पर्व का महत्व और भी अधिक बढ़ाएंगे।


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जन्माष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त
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जन्माष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त

विद्वानों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अर्धरात्रि को हुआ था यानी 12 बजे के लगभग। इसीलिए जन्माष्टमी पर रात में ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार रात्रि में पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनिट से 12 बजकर 08 मिनिट तक रहेगा यानी भक्तों को पूजा के लिए सिर्फ 23 मिनिट का समय मिलेगा।


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इस विधि से करें जन्माष्टमी व्रत-पूजा (Janmashtami Puja Vidhi)
Image Credit : Getty

इस विधि से करें जन्माष्टमी व्रत-पूजा (Janmashtami Puja Vidhi)

- अगर आप जन्माष्टमी व्रत करना चाहते हैं तो इसके एक दिन पहले ही यानी 15 अगस्त, शुक्रवार की शाम सात्विक भोजन करें और जमीन पर सोएं। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 16 अगस्त, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन में सिर्फ एक अपनी इच्छा अनुसार फलाहार करें।
- दिन भर मन ही मन श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें। किसी की बुराई न करें, न ही किसी पर क्रोध करें। रात्रि पूजन से पहले पूरी पूजन सामग्री एक स्थान पर इकट्ठा करके रखें।
- शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर भगवान का पालना रखकर इसे अच्छी तरह से सजाएं और लड्डू गोपाल का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पूजा करना शुरू करें।
- सबसे पहले कुमकुम से भगवान को तिलक करें। फूल चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजन सामग्री जैसे- अबीर, गुलाल, इत्र, नारियल, फूल, फल आदि अर्पित करें।
- पूजा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। भगवान को भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते जरूर रखें। परिवार सहित भगवान की विधि-विधान से आरती करें।
- रात को सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करते रहें। साथ ही भगवान को पालने को झूला देते रहें जैसे छोटे बच्चे को झूलाते हैं। अगले दिन ब्राह्मणों को विधि-विधान से व्रत का पारण करें।
- पारण के बाद प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करें और फिर भोजन करें। इस तरह जन्माष्टमी का व्रत-पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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भगवान श्रीकृष्ण की आरती (Janmashtami Aarti)
Image Credit : Getty

भगवान श्रीकृष्ण की आरती (Janmashtami Aarti)

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
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