Janmashtami Puja Samagri List: 16 अगस्त के दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाने वाला है। जन्माष्टमी की पूजा के लिए कुछ चीजें जरूरी होती हैं, जिनके बिना कान्हा जी की पूजा अधूरी मनी जाती है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा सामग्री के बारे में यहां।
Janmashtami Puja Samagri: जन्माष्टमी का त्योहार 16 अगस्त के दिन मनाया जाने वाला है। मंदिरों और घरों में भी इस त्योहार को लेकर अभी से ही तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। लड्डू गोपाल के खूबसूरत झूले भी मार्किट में मिलने लगे हैं। हर कोई ये चाहता है कि जन्माष्टमी की पूजा में उनकी किसी भी तरह की कमी न रहें। ऐसे में हमें पूजा की सामग्री का ध्यान रखने की भी बहुत जरूरत है। आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा में किन-किन चीजों को शामिल किया जाता है।
जन्माष्टमी की पूजा सामग्री
आधा मीटर सफेद कपड़ा, पंच रत्न, एक लोटा में जल, आधा मीटर लाल कपड़ा, माला, केसर, चंदन, श्री कृष्ण की मूर्ति, फूल, चावल, अबीर, 5 यज्ञोपवीत, कुमकुम, गुलाल, हल्दी, अभ्रक, आम के पत्ते, धनिया की पंजीरी, श्री कृष्ण के लिए पत्ते, आभूषण, भोग के लिए माखन-मिश्री, तुलसी का पत्ता, मुकुट, मोर पंख, झुला, सुपारी, सिंहासन, खड़ी धनिया, कमलगट्टा, पान के पत्ते, तुलसी की माला, खड़ा धनिया, गंगाजल, शक्कर, शहद, घी, डंडी के साथ वाला खीरा, मक्खन, दही, दूध, दीपक, धूप अगरबत्ती, कपूर, सप्तमृत्तिका, मिठाई, छोटी इलायची, मौसमी फल, पंचामृत, पंच पल्लव, तुलसी दल, बन्दनवार, लौंग लगा पान का बीड़ा, नारियल, चावल-गेहूं-जौ,ज्वार, हल्दी की गांठ, झांकी सजाने के लिए सामान।
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जन्माष्टमी पूजा विधि
भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए आप सबसे पहले एक कलश रखें और उस पर घी का दीपक जलाएं। धूप बत्ती और कपूर को भी साथ में जलाकर रखें। भगवान को कुमकुम, चंदन, केसर आदि का तिलक लगाएं। उन पर चावल, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं। साथ ही सुंदर आभूषण उन्हें पहनाएं। पान के पत्ते पर सुपारी रखकर उन्हें अर्पित करें। फूलों की माला उन्हें पहनाएं, चाहे तो तुलसी की माला भी पहना सकते हैं।
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क्या है जन्माष्टमी व्रत की विधि?
जन्माष्मी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम करें। पूरे दिन श्री कृष्ण के साथ-साथ राधा रानी के नाम का जप करें। दिन में आप चाहे तो फल खा सकते हैं। रात को 12 बजे की पूजा से पहले फिर से स्नान करके साफ कपड़े पहने और विधि पूर्वक कान्हा जी की पूजा करें। उनकी आरती उतारकर भोग लगाएं।
