सार

Maha Shivratri 2024 Kab Hai: महाशिवरात्रि, भगवान शिव से संबंधित सबसे प्रमुख त्योहार है, जो फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

 

Maha Shivratri 2024: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। वहीं इस पर्व से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि इसी दिन भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी किया जाता है। व्रत के दौरान महाशिवरात्रि की कथा भी जरूर सुनी जाती है। इस कथा को सुने बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। आगे पढ़ें महाशिवरात्रि व्रत की कथा…

ये है महाशिवरात्रि की कथा (Maha Shivratri Ki Katha)
- किसी समय वाराणसी यानी काशी में गुरुद्रुह नाम का एक भील रहता था, जो जंगली जानवरों का शिकार करके अपना परिवार की आजीविका चलाता था। एक बार जब गुरुद्रुह शिकार पर गया तो उस दिन संयोग से महाशिवरात्रि थी।
- गुरुद्रुह दिन भर शिकार के लिए भटकता रहा, लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। तब वह रात में वह एक बिल्व के पेड़ पर चढ़कर बैठ गया। वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग भी था। गुरुद्रुह के पास पीने के लिए पानी भी रखा था।
- कुछ देर बाद गुरुद्रुह को एक हिरनी आती दिखी। जैसे ही उसने हिरणी को मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे। इस तरह उसके द्वारा रात के पहले पहर में शिव पूजा हो गई।
- हिरनी ने जब शिकारी को देखा तो वह बोली ‘अभी मुझे मत मारो, मेरे बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे। मैं उन्हें अपनी बहन को उन्हें सौंपकर यहां लौट आऊंगी।’ हिरनी के ऐसा कहने पर गुरुद्रुह ने उसे छोड़ दिया।
- कुछ देर बाद हिरनी की बहन वहां आई। इस बार भी गुरुद्रुह ने उसे मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया, इस बार भी शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र आ गिरे, जिससे अंजाने में फिर उससे शिवजी की पूजा हो गई।
- हिरनी की बहन ने भी उसके बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखकर आने को कहा और चली गई। कुछ देर बाद वहां एक हिरन आया, इस बार भी वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग की पूजा हो गई।
- हिरन भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर आने की बात कहकर वहां से चला गया। कुछ देर बाद दोनों हिरनी और वह हिरन अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए स्वयं शिकार बनकर गुरुद्रुह के पास आ गए।
- उन्हें देखकर गुरुद्रुह ने फिर अपने धनुष पर बाण चढ़ाया, जिससे चौथे प्रहर में भी शिवजी की पूजा संपन्न हो गई। गुरुद्रुह भूखा-प्यासा तो था ही औ अंजाने में उससे महाशिवरात्रि का व्रत-पूजा भी हो गई।
- अंजाने में ही सही लेकिन महाशिवरात्रि का व्रत-पूजा करने से उसकी बुद्धि निर्मल हो गई और उसने हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया। भगवान शिव भी गुरुद्रुह पर अति प्रसन्न होकर वहां प्रकट हो गए।
- शिवजी ने गुरुद्रुह को वरदान दिया कि ”त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे। वही शिकारी त्रेतायुग में निषादराज बना, जिससे श्रीराम ने मित्रता की।
- महाशिवरात्रि पर जो व्यक्ति ये कथा सुनता है, उसका व्रत पूर्ण हो जाता है और हर तरह की परेशानी भी दूर हो जाती है। इस कथा को सुनने से मृत्यु के बाद व्यक्ति शिव लोक में वास करता है।

महाशिवरात्रि 2024 के शुभ मुहूर्त (Maha Shivratri 2024 Shubh Muhurat)
वैसे तो महाशिवरात्रि पर रात्रि पूजन का विधान है, लेकिन आमजन दिन में भी शिवजी की पूजा कर सकते हैं। इसके लिए 8 मार्च, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 08:13 से 09:41 तक
- दोपहर 12:14 से 01:00 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:37 से 02:05 तक
- शाम 05:01 से 06:29 तक
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06:25 से रात 09:28 तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09:28 से 12:31 तक
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – रात 12:31 से 03:34 तक
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – रात 03:34 से सुबह 06:37 तक
- निशिता काल पूजा समय – रात 12:07 से 12:56 तक

 

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